ग्रामोत्थान परियोजना: ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक ताकत बनी योजना
टिहरी गढ़वाल | Meru Raibar विशेष रिपोर्ट:
उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में अब बदलाव की बयार बह रही है—इस बदलाव की बुनियाद बनी है ग्रामोत्थान परियोजना, जो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ग्रामीण आर्थिकी को नया जीवन दे रही है। खासकर टिहरी गढ़वाल जनपद में यह योजना महिलाओं के लिए आजीविका का मजबूत सहारा बनकर उभरी है।
📈 855 ग्रामीण महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर
टिहरी जिले में इस योजना के तहत अब तक 855 महिलाएं स्वरोजगार के क्षेत्र में कदम रख चुकी हैं। ये महिलाएं अब घर बैठे बकरी पालन, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, सिलाई सेंटर, ब्यूटी पार्लर, ढाबा, रिटेल शॉप और फूड प्रोसेसिंग यूनिट जैसे छोटे लेकिन सशक्त व्यवसायों के ज़रिए अपनी आय बढ़ा रही हैं।

🗣️ परियोजना प्रबंधक सरिता जोशी ने बताया कि जिले में 26 क्लस्टर लेवल फेडरेशन बनाकर इन सभी महिलाओं और उद्यमियों को प्रशिक्षण, संसाधन और वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है।
🔍 योजना के तहत लाभार्थियों को इस प्रकार किया गया लाभान्वित:
- 183 लाभार्थी – कृषि आधारित योजना
- 85 लाभार्थी – गैर कृषि आधारित उद्यम
- 577 ग्रामीण – एक्ट्रीम व अल्ट्रा पुअर योजना के तहत
💰 सहयोग का गणित:
ग्रामीणों को स्वरोजगार शुरू करने के लिए परियोजना के तहत 30% अंशदान रीप परियोजना देती है, 20% लाभार्थी का अंशदान होता है, जबकि शेष राशि बैंक ऋण के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाती है। इस सहयोग मॉडल ने कई गरीब परिवारों की तकदीर बदल दी है।
👩🌾 सफलता की मिसाल: डोबरी गांव की राजेश्वरी देवी
विकासखंड देवप्रयाग की राजेश्वरी देवी ने “Meru Raibar” से बातचीत में बताया कि उन्होंने वर्ष 2024-25 में व्यक्तिगत उद्यम योजना के तहत बकरी पालन शुरू किया।
सितंबर 2024 में उन्होंने 6 और बकरियां खरीदीं, जिनमें से दो को लाभ के साथ बेचकर वे स्वावलंबी बनने की राह पर चल पड़ी हैं।
उनका कहना है, “ग्रामोत्थान परियोजना गरीब तबके के लिए किसी वरदान से कम नहीं। इससे हमें आत्मसम्मान और आय—दोनों मिल रहे हैं।”
🟢 Meru Raibar का संदेश:
ग्रामोत्थान परियोजना न केवल स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, बल्कि यह राज्य में सशक्त महिला, समृद्ध गांव का सपना भी साकार कर रही है।
हर सफल महिला उद्यमी उत्तराखंड के आर्थिक भविष्य की नींव रख रही है।
