रथी देवता – विवाहित महिलाए (ध्याण) यहाँ आकार क्यों झूमने लगती है ?

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मस्ती मे झूमती ये महिलाये रथी देवता के प्रभाव मे है । वर्ष भर मे एक खास दिन पर ये मेला होता है, जिसमे खास कर विवाहित महिलाये पूजा अर्चना के लिए आती है और आते ही देवता के प्रभाव मे झूमने लगती है । अधिकारी वंश मे जन्मे रथी देवता ने अपने इंसानी जीवन मे जिस स्थान पर अपने प्राण त्यागे थे , उस स्थान पर अब एक मंदिर निर्माण हो चुका है ।

सुरुवाती दौर मे एक गाँव फिर पट्टी और जिले से चलकर अब पूरे प्रदेश से लोग इस मेले पर यहा जुटते है । तस्वीरे बयान कर रही है कि सड़क पर सिर्फ इंसानों की ही भीड़ नजर या रही है और दूर दूर तक वाहनों को कतार नजर या रही है । भीड़ को देखते हुए यहा छोटे व्यापारी भी अपने फड़ लगाकर अपनी रोजी रोटी का जुगाड़ करने लगे है
टिहरी जिले के थौलधार ब्लॉक किल्याखाल-अलेरू में धन सिंह रथी देवता का मेला हर वर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल भी मेले में दूर-दराज के कई गांवों से आए लोगों ने रथी देवता के दर्शन कर खुशहाली की मन्नत मांगी।

बुधवार को किल्याखाल में श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना कर रथी देवता को झंडी और श्रीफल चढ़ाकर क्षेत्र की खुशी की कामना की। मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था।
प्रतिवर्ष सात गते बैशाख को धन सिंह रथी देवता के मेले का आयोजन किया जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि किसी भी दुख व परेसनी मे विवाहित महिलाये रथी देवता को याद करती है तो वे आजभी उसने संकट दूर करने के लिए प्रकट होते है इसी के प्रत्युतर मे महियालए रथी देवता के दर्श को साल भर मे इस दिन जरूर यहा आती है , नव विवाहित महिलाओ के हाथों झंडी चढ़ाने की परंपरा आज भी चली या रही है ।

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