आंख मूंद कर निर्माण का मलवा नदी में

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गंगा नदी की राष्ट्रीय धरोहर घोषित होने के बाद गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण रोकने के लिए उच्च न्यायलय सहित एनजीटी ने कड़े प्राविधान बनाये है। किंतु उत्तराखंड में देवी आपदा के बाद भी नदियों और गदेरों में मलवा और कूड़ा डंपिंग पर प्रभावी कदम नही उठाये जा सके। टिहरी जिले के थत्यूड़ में वर्ष 2013 की देवी आपदा में अलगाड नदी में बाढ़ से 12 दुकानें बाह गयी थी उसके बाद भी नदी में मलवा डंपिंग का सिलसिला अभी तक जारी है। और संबंधित विभाग अभी बहु मूक दर्शक बना हुआ है।
मुकेश रावत धनोल्टी
 टिहरी जिले के जौनपुर विकासखंड मुख्यालय थत्यूड़ में अगलाड़ नदी में भवन निर्माण का मलवा सीधे अगलाड नदी में डाला जा रहा है ।  गौर करने वाली बात ये है कि ब्लॉक मुख्यालय को जाने का मुख्य मार्ग भी यहीं से होकर गुजरता है जिसमें राजकीय कन्या इंटर कॉलेज, प्राथमिक विद्यालय, खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय, उप कोषागार व उद्यान विभाग का कार्यालय सहित दर्जनों सरकारी कार्यालय स्थित है ।
भवन  निर्माण के कारण अधिकांश मलवा पत्थर आवाजाही वाले इस रास्ते के ऊपर ही पड़ा हुआ है जिसके कारण राहगीरों को आने-जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है  मकान का अधिकांश मलवा पत्थर सीधे आगलाड़ नदी में  जा रहा है जिससे नदी प्रदूषित भी हो रही है । बरसात के मौसम में यही  नदी उफान पर रहती है जिससे कटाव होने के कारण थत्यूड़ बाजार को भी बाढ़ का खतरा बना हुआ है ।
वर्ष 2013 की आपदा में बाजार में इसी अगलाड नदी की बाढ़ से 12 दुकान में बह गई थी जिससे भविष्य में थत्यूड़ बाजार को आगलाड़ नदी से बाढ़ का खतरा बना हुआ है किंतु संबंधित विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है व्यापार मंडल अध्यक्ष दीपक सजवाण का कहना है कि इस तरह मकानों का मलवा इस तरह नदी में डाला जा रहा है वह भविष्य में गंभीर खतरा को न्योता दे रहा है।
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