500 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला: दोषियों के खिलाफ जांच की क्यो नही मिल रही अनुमति? कोर्ट ने पूछा

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जीरो टॉ

ज़ीरो टॉलरेंस पर कार्यवाही न होते देख हुआ नेता रविंद जुगरान की याचिका पर कोर्ट में बहस के दौरान कई तथ्य सामने आए।

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के करीब पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की इस दौरान कोर्ट ने एसआईटी से पूछा कि घोटाले की जांच धीमी गति से क्यों चल रही है। कोर्ट में पेश एसआईटी की जांच रिपोर्ट में कहा गया कि एसआईटी पांच समाज कल्याण अधिकारियों के खिलाफ केस चलाना चाह रही है, लेकिन सरकार की ओर से उन्हें अनुमति नहीं दी जा रही है। जिसके जवाब में सरकार की ओर से नियुक्त स्पेशल काउंसिल पुष्पा जोशी व ललित सामंत ने कहा कि सरकार ने अनुमति दे दी है। जिसके बाद कोर्ट ने सरकार को इस संबंध में शपथपत्र पेश करने को कहा है। वहीं कोर्ट ने एसआईटी को जांच में तेजी लाने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 मई की तिथि नियत की है। मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार देहरादून निवासी रवींद्र जुगरान व अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति का घोटाला वर्ष 2005 से किया जा रहा है। याचिका में कहा कि यह घोटाला करीब पांच सौ करोड़ से अधिक का है। याचिकाकर्ता ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी।

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