आंखों में पट्टी बांधकर किया गया माँ बाराही की मूर्ति का स्नान ध्यान
बगवाल के दूसरे दिन होती है माँ बाराही की विशेष पूजा अर्चना
-खुली आँखों से आज तक किसी ने नही देख मां बाराही की मूर्ति को,
सुरेंद्र चम्पावत
चम्पावत ज़िले के देवीधुरा माँ बाराही धाम बगवाल नगरी में यूं तो अनेको रहस्य छिपे हैं। भीम शिला के साथ मां बाराही की मूर्ति भी कम हैरतगेंज वाली नही है। माँ वाराही मंदिर प्रंगण में ताम्र पत्र में रखी माता की मूर्ति को खुली आँखों से देखने की अनुमति नही है। बगवाल के दूसरे दिन मंदिर के पुजारी द्वारा आंखों में पट्टी बांधकर स्न्नान कराया गया।
देवी के 52 पीठों में से माँ बाराही एक पीठ के रूप में माना जाता है। आज माँ वाराही धाम देवीधुरा में प्रातः कालीन शुभ लग्नानुसार मंदिर के पीठचार्ज कीर्ति बल्लभ शास्त्री जी के निर्देशानुसार आंखों में पट्टी बांधकर माँ बाराही की मूर्ति का स्न्नान ध्यान किया गया। जिसके बाद माता की मूर्ति को रखे ताम्र पत्र को डोले में रखकर खोलीखांड दुवाचौड़ मैदान में ले जाया गया जिसके बाद माता को मुचकुंद ऋषि आश्रम ले जाया गया। जिसके बाद मां बाराही ने सभी देशवासियों को आशीर्वाद दिया।
मान्यता है कि देवासुर संग्राम के समय काल यवन राक्षस साथ युद्ध मे मुचकुंद ऋषि ने देवताओं का साथ दिया था। जिससे प्रसन्न होकर माँ बाराही ने मुचकुंद को वचन दिया था कि वो उनके आश्रम में आकर उनको दर्शन देगी। इसी वचन को निभाने के लिए ये परम्परा निभाई जाती है।
– पीठाचार्य भुवन चन्र्द जोशी । पीठाचार्य।
दीपक बिष्ट। पदाधिकारी मंदिर कमेटी।