ब्लैक फंगस की चुनौती से निपटने के लिए भी राज्य सरकार तैयार

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-नई व्यवस्था डिसेंट्रलाइज्ड कोविड केयर सिस्टम शहरी के साथ ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में भी लागू होगी
-हल्द्वानी और ऋषिकेश में बन रहे 500 बेड के अस्पतालों में 25 ऑक्सीजन सपोर्टेड व आईसीयू बेड बच्चों के लिए आरक्षित किए जाएंगे

देहरादून। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने बताया कि पिछले एक महीने में 2600 ऑक्सीजन बेड, 678 आईसीयू बेड और 192 वेंटिलेटर बढ़ाए गए हैं। एक वर्ष में स्वास्थ्य सुविधाओं में भी काफी सुधार हुआ है। जहां मार्च 2020 में ऑक्सीजन सपोर्ट बेड 673 थे, आज बढ़कर 6000, आईसीयू बेड 216 थे आज बढ़कर 1495, वेंटिलेटर 116 थे, आज 983, ऑक्सीजन सिलेंडर 1193 थे  आज 10000 से अधिक और ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर 275 थे आज बढ़कर 1500 से अधिक हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में ऑक्सीजन मैनेजमेंट भी बेहतर है। यहां जमशेदपुर व दुर्गापुर से आई ट्रेनों में से पहली ट्रेन से हमें 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन वहीं दूसरी ट्रेन से 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्राप्त हुई है। साथ ही आज जो ट्रेन आने वाली है, उससे 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आएगी, जिसकी सभी जनपदों के अस्पतालों में सप्लाई जारी है। हम रिजर्वस भी बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक अप्रैल से अब तक ई-संजीवनी के तहत 26 हजार 900 टेली कम्युनिकेशन किए गए और इनकी संख्या लगातार बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी प्रकार 104 हेल्पलाइन पर 1 लाख 10 हजार से अधिक कॉल्स अटेंड किये गये। कोविड-19 की वेबसाइट के भी 9 लाख विजिटर्स हैं। यहां सारी सूचनाएं उपलब्ध हैं।
     सचिवालय मीडिया सेंटर में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने बताया कि उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा नई व्यवस्था डिसेंट्रलाइज्ड कोविड केयर सिस्टम लागू की जा रही है, जो शहरी के साथ ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में भी लागू होगी। इसके लिए विभिन्न चरणों में प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके तहत हम हर ब्लॉक्स में एक कोविड केयर सेंटर स्थापित करेंगे। साथ ही ब्लॉक में एक कंट्रोल रूम भी होगा, जिसके लिए मैन पॉवर की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही हमारा प्रयास रहेगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल टेस्टिंग लैब भी हो, जो गांव-गांव जाकर लोगों को सैंपलिंग की व्यवस्था प्रदान करे। सचिव डॉ पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि हमारी मेडिकल यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर की अध्यक्षता में गठित एक्सपर्ट कमेटी में कुछ और लोगों को जोड़ा गया है। इसके तहत पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट प्रो बरोनिया, सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों, एक अन्य पब्लिक हेल्थ एडवाइजरी कमेटी में शामिल दून मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन के हेड के साथ ही स्टेट सर्विलांस ऑफिसर को भी इस कमेटी में जोड़ा गया है। अब ये सभी इस कमेटी में भी सलाह दे सकते हैं। हमारी एक्सपर्ट कमेटी ने संस्तुति दी है।  हमारा फोकस प्रीवेंशन पर है। ब्लेक फंगस सामान्य रूप से पाया जाता है। हमें इससे बचने के लिये सावधानियां रखनी हैं।  म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चुनौती से निपटने के लिए भी राज्य सरकार तैयार है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जो दूसरी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं  और अनियंत्रित मधुमेह, स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल से इम्युनिटी कमजोर होने या अधिक समय तक आईसीयू में रहने वाले मरीज फंगल इंफेक्शन के लिए संवेदनशील होते हैं। जागरूकता और रोग की जल्दी पहचान फंगल इन्फेक्शन को फैलने से रोक सकता है। ब्लेक फंगस के लिए आवश्यक दवाओं का प्रबंध किया जा रहा है।

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