रुड़की
IMA चिकित्सकों का प्रदर्शन
देश मे डाक्टर की कमी को दूर करने के लिए भारतीय चिकत्सा परिषद ने आयुर्वेद चिकत्सकों को प्रशिक्षण के दौरान ही 58 शल्य चिकत्सा के दक्ष बनाया जाएगा इसके बाद आयुर्वेद चिकत्सक भी इलाज के दौरान ओपेरशन कर सकेंगे | हालांकि ये बिल वर्ष 2016 मे पास हो गया था किन्तु इसे अब लागू किया गया है | एमसीआई से जुड़े ऐलोपथिक डाक्टर के संगठन ने भारतीय चिकत्सा परिषद के इस फैसले का विरोध किया है | आई.एम.ए. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के रुड़की नगर अध्यक्ष डॉ. विकास त्यागी ने बताया की वे आयुर्वेद के विरोधी नहीं है बल्कि वे चाहते है कि आयुर्वेद अपने फील्ड मे और प्रगति करे उन्होने कहा कि दोनों पैथी को मिक्स करने से कई दिक्कते पैदा होंगी और ऐसा करने से आयुर्वेद का विकास नहीं बल्कि पतन होगा | उन्होने कहा कि आयुर्वेद पद्धति मे और अधिक रिसर्च हो इसका वे समर्थन करेंगे पर मिक्स थेरेपी का विरोध करेंगे |
वही आयुर्वेद संघ के मीडिया प्रभारी डीसी पाषबोला ने बताया कि आयुर्वेद मे शल्य चिकत्सा का प्रयोग हजारो साल पहले से ही होता आया है| उन्होने प्रथम पूज्य गणेश भगवान के कटे हुए सर को हाथी के सर से जोड़ने वाली शल्य चिकत्सा का जिक्र करते हुआ कहा कि ऐलोपथी मे आज तक इस तरह के जटिल शल्य चिकित्सा का उपयोग नहीं हो सका | उन्होने स्वीकार किया कि आयुर्वेद मे रिसर्च की जरूरत है| प्रदेश मे आयुष को ऐलोपैथ से अलग करने के बाद इसके विकास की उम्मीद को बजट नहीं मिलने के कारण पंख नहीं लग सके | उन्होने कहा कि कोरोना ने आयुर्वेद कि प्योगीता को साबित किया है फिर भी प्रदेशमे स्वास्थ्य के बजट का 97% ऐलोपैथ को और 3 % ही आयूस को मिल पाता है ऐसे मे नयी खोज कैसे संभव है
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बैनर तले नगर के वरिष्ठ डॉक्टरों ने बोट क्लब पर भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद द्वारा अपने चिकित्सकों (आयुर्वेद चिकित्सक) को अनैतिक अनुमति दिए जाने के विरोध में अपना सांकेतिक प्रदर्शन किया।
आई.एम.ए. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के रुड़की नगर अध्यक्ष डॉ. विकास त्यागी ने बताया कि लंबी प्रैक्टिस के बाद एलोपैथिक चिकित्सक अपनी अपनी फ़ील्ड के मुताबिक सर्ज़री करते है लेकिन अब आयुर्वेद चिकित्सकों को तमाम सर्ज़री करने की अनुमति दी गई है जिससे परेशानियां बढ़ने की पूरी पूरी आशंका है। उन्होंने बताया ऐसे आयुर्वेद को बढ़ावा नही मिलेगा बल्कि आयुर्वेद का पतन होगा। उन्होंने साफ तौर पर इस अनुमति का विरोध किया और ऐसे फैसले को वापस लिए जाने की मांग की। उंन्होने साफ तौर पर कहा की आयुर्वेद के खिलाफ नहीं है बल्कि सभी चिकित्सक यह चाहते हैं कि आयुर्वेद का विकास हो लेकिन इस तरह से आयुर्वेद का विकास कैसे हो पाएगा यह सोचने वाली बात है इसीलिए सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।उन्होंने बताया यदि जल्द ही कोई निर्णय नही लिया गया तो आगे चलकर कार्य बहिष्कार भी किया जा सकता है।
. विकास त्यागी (नगर अध्यक्ष आई.एम.ए )