ठेकेदार भागा, सड़क अधूरी, अधिकारी बेफिक्र!

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“5 साल बाद भी सड़क अधूरी, RTO से नहीं मिली मंज़ूरी! टिहरी की जनता से छलावा या लापरवाही?”


टिहरी से मेरु रैबार की खास रिपोर्ट –
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत बनी 9.3 किलोमीटर की सड़क — पिलखी गढ़मना से द्वारी गांव तक — अब एक बड़े घोटाले और लापरवाही की जीती-जागती मिसाल बन चुकी है।

👉 5 साल बीत गए, ठेकेदार का कॉन्ट्रैक्ट भी खत्म हो गया, लेकिन न सड़क मानकों के अनुसार बनी…
👉 न RTO की मंज़ूरी मिल सकी!

क्या यही है विकास की असल तस्वीर?

पीएमजीएसवाई के अधीन इस सड़क का निर्माण जितना बहुप्रतीक्षित था, अब उतना ही विवादित हो गया है। सड़क की हालत ऐसी है कि न कोई सार्वजनिक परिवहन सेवा शुरू हो पाई है, और न ही इस पर इमरजेंसी सेवा 108 एंबुलेंस आसानी से पहुंच सकती है।

🚨 सबसे बड़ा खतरा?
अगर इस सड़क पर कोई हादसा होता है — तो न तो किसी तरह की बीमा क्लेम मिलेगा और न ही कोई कानूनी संरक्षण!


🔍 कौन है जिम्मेदार?

  • PMGSY के इंजीनियरों ने समय रहते न तो ठेकेदार से सड़क की खामियां ठीक करवाईं, न ही इसे RTO पास करवाने लायक बनाया।
  • अब जब ठेकेदार का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया है, तो अधिकारी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए इस अधूरी सड़क को लोक निर्माण विभाग (PWD) को सौंपने की कोशिश कर रहे हैं।
  • लेकिन PWD ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं! उनका साफ कहना है — जब तक सड़क मानकों के अनुरूप नहीं बनेगी और RTO अप्रूव नहीं करेगा, तब तक हम इसे नहीं लेंगे।”

📄 झूठ का सहारा?

PMGSY अधिकारी दावा कर रहे हैं कि सड़क को RTO से अप्रूवल मिल चुका है — पत्रांक संख्या 1791, दिनांक 20 दिसंबर 2022 का हवाला दे रहे हैं।
लेकिन हकीकत?
यह सिर्फ सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी का पत्र है, जिसमें साफ कहा गया है कि सड़क में कई मानक पूरे नहीं हुए हैं और सुधार जरूरी है।
जबकि असली RTO अप्रूवल — रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी कमिश्नर से मिलना जरूरी होता है, जो अब तक नहीं मिला है।


⚠️ अब सवाल उठता है:

  • क्या इस अधूरी सड़क को मानकों के अनुरूप बनाने की ज़िम्मेदारी गैर-जिम्मेदार अधिकारियों की वेतन से पूरी की जाएगी?
  • कौन उठाएगा हादसों की ज़िम्मेदारी?
  • क्या सिर्फ “कागजों में विकास” ही जनता को दिखाया गया?

🧭 जनता पूछ रही है:

📢 “जीरो टॉलरेंस की सरकार में ये कैसी जवाबदेही?”
📢 “क्या प्रशासन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा?”
📢 “कब तक टिहरी जैसे पहाड़ी इलाकों में आम लोग विकास के नाम पर छलावे का शिकार होते रहेंगे?”


🛑 मेरु रैबार मांग करता है:
इस मामले में उच्चस्तरीय जांच हो और दोषी इंजीनियरों, अधिकारियों और ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई हो। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि सड़क जल्द मानकों के अनुरूप बनकर RTO से पास हो, ताकि जनता को राहत मिल सके।


📌 ये सिर्फ एक सड़क नहीं, ये सवाल है — सिस्टम की नीयत और जवाबदेही का!

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