ट्रिब्युनल ने किया सब इंस्पैक्टर के विरूद्ध एस.एस.पी. व आई.जी के आदेश निरस्त

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देहरादून। उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारी अधिकारियों के सेवा सम्बन्धी मामलों का निर्णय करने वाले विशेष न्यायालय (ट्रिब्युनल) की पीठ ने उधमसिंह नगर जिले में तैनात रही, वर्तमान में जी.आर.पी. थाना काठगोदाम के अन्तर्गत तैैनात महिला सब इंस्पैक्टर सरोज काम्बोज के विरूद्ध एस.एस.पी. उधमसिंह नगर के दण्डादेश तथा आई.जी. कुुमाऊं के अपील आदेशों को निरस्त कर दिया। इस आदेश में स्पष्ट किया कि जिस वर्ष की घटना हैै उसी वर्ष की चरित्र पंजिका में परिनिन्दा लेख दर्ज करने का आदेश हो सकता हैै।
वर्तमान में जी.आर.पी. थाना काठगोदाम के अन्तर्गत जी.आर.पी. चौैकी इंचार्ज काशीपुर जी.आर.पी. के पद पर कार्यरत पुलिस सब इंस्पैैक्टर सरोज काम्बोज की ओर से अधिवक्ता नदीम उद्दीन ने लोक सेवा अधिकरण की नैैनीताल पीठ में सितम्बर 2020 में याचिका सं0 64 दायर की थी। इसमें कहा गया था कि जब सरोज काम्बोज थाना बाजपुर में कार्यरत थी तो उन्हें एफ.आई.आर. संख्या 323/18 की धारा 452/363/366/506 आई.पी.सी. की तफ्तीश सौंपी गयी। उन्हेें सौैंपी गयी कुल 29 गंभीर मुकदमों की तफ्तीशों तथा चैैती मेला सहित विभिन्न अन्य कानून व्यवस्था की ड्यूटी सहित पूरी कर्मठता व लगन से अपने कर्तव्यों का पालन किया। लेकिन तत्कालीन एस.एस.पी. ने प्रारंभिक जांच के बाद उन्हें विवेचना (तफ्तीश) में देरी के आधार पर कारण बताओं नोटिस दिया तथा उनके द्वारा डाक सेे भेेजेे गये नोेटिस केे जवाब पर विचार किये बगैर ही यह मानते हुये कि उन्हें अपने बचाव मेें कुछ नहीं कहना हैै तथा कारण बताओ नोटिस में प्रस्तावित परिनिन्दा लेख का दण्ड उन्हें मान्य हैै, उनके विरूद्ध उनकी 2020 की चरित्र पंजिका में परिनिन्दा लेख अंकित करने का आदेश सं0 44/2019 दिनांक 26 फरवरी 2020 दे दिया। श्रीमति काम्बोज ने इसकी अपील आई.जी. कुमाऊं को की उन्होंने भी इसे बिना किसी बैध आधार के खारिज कर दिया। इसके बाद श्री नदीम ने उनकी ओर से उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण की नैैनीताल पीठ में याचिका दायर की तथा उक्त आदेशों को निरस्त करने की प्रार्थना की गयी।
श्री नदीम द्वारा दायर याचिका के उत्तर में सरकार व पुलिस विभाग की ओर से पुलिस उपाधीक्षक उधमसिंह नगर आशीष भारद्वाज द्वारा प्रति शपथपत्र (काउंटर एफिडेविट) फाइल किया गया जिसमें एस.एस.पी. व आई.जी के आदेशों को सही बताते हुए याचिका खारिज करने की प्रार्थना की गयी। याचिका पर सुनवाई ट्रिब्युनल के उपाध्यक्ष राजीव गुप्ता की पीठ में हुई। जिसमें याचिकाकर्ता सब इंस्पैैक्टर की ओर से नदीम उद्दीन एडवोकेट ने बिना नोेटिस के जवाब पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किये गये एस.एस.पी. के दण्डादेश व इसे सही घोषित करने वाले आई.जी. के अपील आदेश को अवैैध व प्राकृतिक न्याय सिद्धांतोें का उल्लंघन बताते हुये इसे निरस्त करने की प्रार्थना की गयी। साथ ही उनकेे द्वारा 2019 की घटना के लिये 2020 की चरित्र पंजिका में परिनिन्दा लेख अंकित करने को भी गलत बताया गया। इसके विरूद्ध सरकार व विभाग की ओर से ए.पी.ओ. ने नोटिस का उत्तर न मिलने पर बल देते हुए आदेशों को सही बताया तथा याचिका निरस्त करने की प्रार्थना की।
श्री नदीम के तर्क से सहमत हुये ट्रिब्युनल नेे अपने निर्णय के पैैरा 7 में स्पष्ट लिखा कि ट्रिब्युनल याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की इस बहस में बल पाता हैै कि यदि परिनिन्दा प्रविष्टि अंकित करने का आदेश भी दिया जाना था तो 2019 की चरित्र पंजिका में किया जाना चाहिये, न कि 2020 की। श्री नदीम के तर्कों से सहमत होते हुये सर्विस ट्रिव्युनल के उपाध्यक्ष राजीव गुप्ता ने आदेशों में विरोधाभास मानते हुये दण्डादेश तथा आई.जी. के अपील आदेश को निरस्त होने योग्य माना तथा उन्हें निरस्त कर दिया। ट्रिब्युुनल ने मामले को नोटिस के जवाब पर विचार करते हुये कानून के अनुसार नये सिरे से आदेश के लिये एस.एस.पी. को भेज दिया। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया हैै कि यदि याचिकाकर्ता को इस नये आदेश में कोई दण्ड दिया जाता हैै तो उसे नियमानुसार अपील करने का अधिकार होगा।

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