गंगोत्री विधान सभा से दो बार विधायक रहे स्वर्गीय गोपाल सिंह रावत की धर्मपत्नी शांति गोपाल रावत इस बार अपने पति के अधूरे विकास कार्यो को धरातल पर उतारने के संकल्प के साथ चुनावी मैदान मे उतर कर खुद को साबित करना चाहती हैं।
बताते चले की विधान सभा का कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व ही विधायक गंगोत्री गोपाल रावत बीमारी के चलते हमांरे बीच नहीं रहे और इस दुनिया से चल बसे |
अपने कार्य काल के अंतिम दिनो मे जब विकास कार्य तेजी से गंगोत्री मे धरातल पर उतरने को थे उस दौरान ही रावत परिवार गहरे सदमे का शिकार हो गया | बीमारी के अंतिम दिनो मे जब स्वर्गीय विधायक गोपाल रावत को महसूस हुआ कि वे अब चंद दिनो के मेहमान है तब उन्होने अपनी पत्नी शांति गोपाल रावत को अस्पताल मे अपने पास बुलाया और अपने घर परिवार के साथ गंगोत्री विधान सभा मे उनके द्वारा सुरू किए गए कार्यो को पूर्ण करने का वचन लिया |
शांति गोपाल रावत ने वर्ष 1984 मे पीजी की डिग्री ली साथ ही 1983 मे बीएड पूर्ण किया और वर्ष 1990 से राजकीय सेवा मे आ गई | शांति गोपाल रावत राजकीय बालिका इंटर कॉलेज उत्तरकाशी से सेवा निवृत्त शिक्षिका है |
इस दौरान शिक्षण के साथ अपने पति गोपाल रावत के राजनैतिक जीवन मे , वर्ष 1987 मे सभासद, वर्ष 1997 से 2002 तक ब्लौक प्रमुख और वर्ष 2007 के बाद से विधायक के चुनाव मे लगातार उनका सहयोग करती रही | इस वक्त गंगोत्री विधान सभा मे विधायक के टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रही है |
खास बात ये है कि गंगोत्री विधान सभा मे प्रमुख रूप से विपक्ष मे बैठे कोंग्रेसी नेता विजयपाल सजवान, स्वर्गीय गोपाल रावत के बचपन के मित्र रहे है और अलग अलग दलो मे रहने के बाद भी दोनों की राजनैतिक मित्रता चर्चा मे रही |
दरअसल गंगोत्री विधान सभा ने हमेसा ही एक दल से नाराज होकर दूसरे दल के प्रत्यासी को वोट दिया. इस बार जब बीजेपी के विधायक गोपाल रावत ही हमारे बीच नहीं रहे तो आरोप प्रत्यारोप का दौर सायलेंट मोड मे चला गया |
इस बार गंगोत्री की जनता का मूड क्या रहेगा ये आने वाला चुनाव बताएगा साथ ही ये भी तय करेगा कि इस बार गंगोत्री से सरकार बनाने का मिथक कायम रहेगा या नहीं ?