लाखों की काजल की लकड़ी के साथ तीन तस्कर गिरफ्तार

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उत्तरकाशी। पुलिस कोतवाली ने को बुधवार को बड़ी कामयाबी मिली है। पुलिस ने चेकिंग के दौरान डुंडा बैरियर के पास 144 नग प्रतिबन्धित काजल की लकड़ी को तीन तस्करों के साथ बरामद किया जिसकी कीमत करीब 14 लाख रुपये आंकी गई है।
बता दें कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों के दुर्लभ वन संपदा काजल की लकड़ी को फिल्म पुष्पा के अंदाज में पुष्पा बनकर अवैध रुप से तस्करी करते हुए एक चालक सहित तीन तस्करों को उत्तरकाशी प्रभारी निरीक्षक कोतवाली दिनेश कुमार के नेतृत्व में बुधवार प्रातः डुण्डा पुलिस ने बैरियर पर चैकिंग के दौरान वाहन संख्या यूके 7 एई 8600 में जनक बहादुर पुत्र बूढे बहादुर निवासी नई बस्ती थाना कलेमनटाउन देहरादून हाल पता लोदी सराय सहारनपुर, खेमराज रोकाया पुत्र लाल रोकाया निवासी उपरोक्त विनोद कुमार पुत्र रघुवीर सिंह निवासी नन्दपुरी कॉलोनी सहारनपुर (चालक) को प्रतिबन्धित काजल-काठ की लकड़ी की तस्करी करते हुये पकड़ा गया। वाहन से 144 नग बरामद किये गये। ये लोग भटवाड़ी के सालंग क्षेत्र से इस प्रतिबन्धित लकड़ी को उत्तर-प्रदेश सहारनपुर ले जा रहे थे, लेकिन पुलिस की सतर्कता ने इनको नाकाम कर दिया। मामले में अकार्रवाई के लिए इनको मय प्रतिबन्धित लकड़ी के वन विभाग के सुपुर्द किया गया।
इधर एसपी उत्तरकाशी ने पत्रकारों को बताया कि काजल की लकड़ी उच्च हिमालय के आरक्षित वन क्षेत्र में पाई जाती है। काजल औषधीय दृष्टिकोण से सर्वाेत्तम मानी जाती है। इसे बौद्ध सम्प्रदाय के लोग इसके बर्तन (बाउल) बनाकर खाद्य एवं पेय पदार्थों के लिए इस्तेमाल करते हैं। भारत, चीन, तिब्बत, नेपाल आदि देशों में इस लकड़ी की तस्करी कर उच्च कीमतों पर बेचा जाता है। तस्करों को पकड़ने वालों में उपनिरीक्षक राजेन्द्र सिंह पुजारा, हेडकांस्टेबल मोहन लाल व कांस्टेबल राकेश सिंह शामिल रहे।

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