धरती को हरा-भरा बनाये रखने के लिये करें प्लास्टिक को बाय-बायः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

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ऋषिकेश। अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक संकट है जिसके कारण मनुष्य के साथ प्रकृति और पर्यावरण दोनोेें प्रदूषित हो रहे हैं दुर्भाग्य है कि यह प्रदूषण मानव निर्मित है और इसका समाधान भी मानव के पास ही है। वैश्विक स्तर पर लगभग 500 बिलियन प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है। इतने प्लास्टिक बैग हमारी धरती पर फैले रहे हैं जिससे पर्यावरण, वन्य जीवन, मानव स्वास्थ्य सब कुछ अत्यंत प्रभावित हो रहा है। इस प्रदूषण के कारण जैव विविधता पर विनाशकारी संकट में है। समुद्र में प्लास्टिक के टुकड़ों के कारण विषाक्त पदार्थो की वृद्धि हो रही है ये विषाक्त पदार्थ खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करते हैं। समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र प्लास्टिक प्रदूषण से अत्यधिक प्रभावित हो रहा है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हम सभी को प्लास्टिक बैग के बजाय कपड़े के थैले व पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों की तलाश करना होगा ताकि पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिले। अगर प्लास्टिक का इसी तरह से उपयोग होता रहा तो भविष्य में समुद्रों, नदियों, और पूरी दुनिया में करोड़ों टन प्लास्टिक की थैलियों के ढ़ेर लग जायेगे और यह समस्या इस तरह बढ़ जायेगी कि नदी के तटों पर रेत के स्थान पर प्लास्टिक ही प्लास्टिक नजर आयेगा।अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस का उद्देश्य प्लास्टिक की थैली, डिस्पोजेबल, सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण के प्रति जागरूक करना है तथा यह दिन प्लास्टिक का उपयोग न करने का भी संदेश देता है। हमें खुद और दूसरों को भी यह याद दिलाना होगा कि प्रतिदिन हम जितने भी प्लास्टिक का उपयोग करते हैं तो हमें उसका  निपटान भी ठीक से करना होगा। हमें यह बात याद रखनी होगी कि समुद्रों और पृथ्वी पर बढ़ता प्लास्टिक का कचरा आने वाली पीढ़ियों के लिए और दुनिया के सभी जीवों के जीवन के लिये संकट बनता जा रहा है।महासागरों में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में दुनिया भर में चिंताएँ बढ़ रही हैं, लगभग 50 प्रतिशत एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पाद, समुद्री जीवन को नष्ट करते है तथा मानव खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करते हैं इसलिये हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कौन-से प्लास्टिक उत्पादों को पुनः चक्रित किया जा सकता है और कौन-से नहीं। बायोडिग्रेडेबल और कंपोस्टेबल प्लास्टिक का उपयोग करना होगा तथा कड़ाई से कार्यान्वयन के लिये सख्त कदम भी उठाने होंगे। स्वामी जी ने कहा कि अपने ग्रह को हरा-भरा रखने के लिये प्रत्येक व्यक्ति को प्लास्टिक की थैली और अन्य उत्पादों का धीरे-धीरे उपयोग करना बंद करना होगा। आईये आज संकल्प लें कि कपड़े के थैले का ही उपयोग करेंगे और प्लास्टिक मुक्त धरती के निर्माण में अपना योगदान प्रदान करेंगे।

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