देहरादून। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय देहरादून में प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने बयान जारी करते हुए कहा कि सचिव सिंचाई उत्तराखंड शासन द्वारा उत्तराखंड जल प्रबंधन एवं नियामक आयोग में एक अध्यक्ष एवं दो सदस्यों की नियुक्ति हेतू दिनांक 26.12.2022 तथा दिनांक 04.01.2023 द्वारा आवेदन मांगे गए थे जिसके लिए मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक दिनांक 17.11.2023 को रखी गई थी। अध्यक्ष पद हेतू राज्य सरकार के मुख्य सचिव या भारत सरकार के सचिव या उसके समकक्ष पद धारण करने की योग्यता रखी गई थी तथा सदस्यों हेतू इंजीनियरिंग, वित्त, वाणिज्य, अर्थशास्त्र, विधि प्रशासन का ज्ञान व अनुभव होने तथा कम से कम एक सदस्य का जल विद्युत इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अर्हता तथा 25 वर्ष का अनुभव होने का प्राविधान था।
बिष्ट ने कहा कि साक्षात्कार की तिथि दिनांक 17.11.2023 को अध्यक्ष पद हेतू उत्तराखंड शासन के एक पूर्व सचिव तथा सदस्यों के पद हेतू सिचाई विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता प्रमुख अभियंता तथा टीएचडीसी से कुल 7 अभियर्थियों द्वारा भाग लिया गया जिसमें यह पूर्ण विश्वास था कि उक्त चयन पूर्ण निष्पक्षता के आधार पर किया जाएगा।
बिष्ट ने कहा कि बताया जा रहा है कि सरकार एवं सत्तारूढ दल द्वारा किए गए अनावश्यक राजनैतिक हस्तक्षेप के फलस्वरूप यह तय किया जा चुका था कि सदस्य के एक पद पर एक पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तेदार का चयन होना तय हैं व अन्य अभियर्थियों से कम अनुभव और ज्ञान होने के बावजूद बताया जा रहा है कि सदस्य पद पर इनकी नियुक्ति का निर्णय लिया गया है। अन्य अभियर्थियों को आंशका है कि अभी परिणाम घोषित नही हुआ है परंतु यह पहले से तय है कि इनका चयन सदस्य पद पर किया जा रहा है, अगर ऐसा होता है तो पूरी चयन प्रक्रिया संदेह के घेरे में आ जाएगी, चयन प्रक्रिया पूर्णतः पारदर्शि व निष्पक्ष होनी चाहिए यह संदेश नही जाना चाहिए कि किसी रसूखदार व्यक्ति से संम्पर्क या रिश्तेदारी के कारण किसी की नियुक्ति हो रही है। बिष्ट ने कहा कि चयनकर्ताओ ंको और विभाग को यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि योग्य अधिकारियों का निष्पक्ष चयन किया जाए तथा इस प्रकरण में राजनैतिक हस्तक्षेप के जो अरोप लग रहे हैं उनकी कोई संभावना न रहे।