शिव नगरी और गंगा यमुना के उदगम स्थल गंगोत्री और यमनोत्री के मायके उत्तरकाशी के प्रवेश द्वार पर कूड़े के ढेर न तो पर्यवारण प्रेमियोंको दिखाई देते है औऱ न उच्व न्यायलय में रिट दायर करने वालो को। कूड़े के इस ढेर का उपचार करने में नाकाम नगर पालिका ने भी सरकारी सहयोग न मिलने से एक तरह से हाथ खड़े कर दिए है। तभी तो पालिका कर्मी खुद कूड़े के ढेर पर आग लगाकर मौके पर ही समाप्त कर देना चाह रहे है, न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी।

धार्मिक नगरी उत्तरकाशी में सुबह के समय मॉर्निंग वॉक करने वाले लोग हो अथवा बाहर से आने वाले श्रद्धालु या पर्यटक उस वक्त अवाक रह जाते है जब वे खुद पालिका कर्मियों को ही कूड़े के ढेर में आग लगाते हुए देखते है। नगर के मुख्य चौराहों से आजकल कूड़े दान को हटा लिया गया है ताकि लोग कूड़ा वाहन को अपने घर का कूड़ा दे सके, इसके बाद भी कुछ अनाड़ी लोग है जो अभी भी सड़क के किनारे ही चुपचाप कूड़ा दाल देते है, और पालिका भी ऐसे लोगो की पहिचान कर उन्हें दंडित करने की बजाय इसे कूड़े पर वही मौके पर ही आग लगाकर प्रदुषण फैलाने में मददगार साबित हो रही है। सुबह के समय कूड़े के जलने से उठने वाली जहरीली गैस से सांस लेना दूभर हो जाता है, नगर के प्रमुख मार्गों पर सीसी टीवी की मदद से यहाँ कूड़ा डालने और उसमें आग लगाने वालों को चिन्हित करने की बजाय पालिका सबकी सांस में जहर भर रही है, थोड़ा थोड़ा सब भरो – इस तर्ज पर।
जरा नजर डालते है इसके कानूनी पहलू पर।
कानूनी प्रावधान: कूड़ा जलाने से होने वाले प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 188 व प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत शहर में कूड़ा-कचरा जलाने पर पाबंदी लगाई गई है। आईपीसी धारा 181 के तहत छह माह कैद या एक हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है।
पर बिल्ली के गले मे घंटी आखिर बांधे कौन?