उत्तरकाशी के ब्रहंखाल इलाके मे तीन महीने से आबादी वाले इलाके मे घूम रहा गुलदार अब आदमखोर हो गया है । शनिवार साम को सड़क से 50 मीटर दूर गाँव की बटिया पर घात लगाए गुलदार ने एक ग्रामीण को मार डाला । सुबह ग्रामीणो को युवक का क्षत विक्षिप्त शरीर मिला । घटना के बाद ग्रामीणो मे जहा खौफ का महोल है वही वन विभाग कि कार्य शैली पर भी नाराजी है । युवक के तीन बच्चे है जिसमे सबसे बड़े बच्चे की उम्र मात्र आठ साल है । पलायन के बाद खाली हो रहे पहाड़ के गाँव मे जंगली जानवरो की दस्तक के बाद भी वन महकमा चैन की नींद सोया हुआ है । आलम ये है कि बड़े हादसा होने का इंतजार किया जाता है और इसके बाद कुछ वन विभाग हरकत मे नजर आता है और फिर वही धाक के तीन पात । ऐसा लगता है कि सरकारी योजन मे इंसान से जायदा चिंता जंगली जानवरो की हो रही है
तीन माह से जिस गुलदार की दहसत भंडारस्यू क्षेत्र मे बनी थी आखिरकार वह अब आदमखोर भी बन गया। गुलदार ने पैंथर निवासी मगन लाल पर हमला कर उसे अपना निवाला बना दिया। इस घटना की जानकारी आज सुबह ही लोगो को लगी ।
पैंथर निवासी मगन लाल पेसे से एक मजदूर है और वह हर दिन मजदूरी के लिए ब्रह्मखाल बाजार आता था। शनिवार सांय मगन लाल मजदूरी करने के बाद अपने घर पैंथर को निकला, रात लगभग नौ बजे वह घर के लिए निकला ही था कि कुछ ही दूर कुमराडा के पास राजमार्ग से 50 मीटर पैंथर बटिया मार्ग पर घात लगाये बैठे गुलदार ने उस पर हमला कर युवक को अपना निवाला बना डाला । रात भर गुलदार युवक के शरीर को नोचता रहा इस दौरान बाघ ने उसके शरीर को छत विक्षत कर दिया।
सूचना मिलने पर पुलिस प्रशासन सबसे पहले मौके पर पंहुंचा और युवक के शव को कब्जे मे लेकर उसका पंचनामा किया । यह गुलदार पिछले तीन माह से ब्रह्मखाल क्षेत्र मे दहसत का प्रयाय वना हुआ है। वन विभाग को कई बार स्थानीय लोगो ने पिंजरा लगाने को कहा मगर गहरी नींद सोये विभाग के कानो मे ज्यूं तक नही रेंगी और मगनलाल को इसका खामियाजा भुगतना पडा। इस हादसे के बाद क्षेत्र मे दहसत का माहोल है और वन विभाग के खिलाफ लोगो मे भारी आक्रोश है। पिछले पांच साल मे इस क्षेत्र मे बाघ के हमले की यह दूसरी घटना है।