एक समय था जब झोपड़ी गरीबो की मजबूरी हुआ करती थी और इसी गरीबी से मुक्ति पाने के लिए लोग इन खूबसूरत पहाड़ो को छोड़ कर मैदान मे पलायन कर गए थे | यहा उन्हे पैसा तो खूब मिला पर सुकून नहीं | आखिर पहाड़ की समृद्ध संस्कृति और रीति रिवाजो को छोड़ कर कैसे और कब तक उसके बच्चे दूर रह सकते है | गरीबी के इसी प्रतीक को उत्तरकाशी के एक इस युवक ने अमीर लोगो के आकर्षण मे बदल दिया है | अपनी दिनचर्या से हटकर वीकेंड अपर अथवा किसी भी खास मौके को आप इस झोपड़ी मे गुजर कर यादगार बना सकते है | एक बार आप पहुच गए तो बार बार आने को मजबूर हो जाएंगे|
रोजगार के लिए गांव छोड़ शहरों की ओर भाग रहे युवाओं के लिए भटवाड़ी ब्लॉक के ग्राम क्यार्क निवासी पूर्व प्रधान विपिन सिंह राणा ने स्वरोजगार की अनूठी मिसाल पेश की है। उन्होंने अपनी पुश्तैनी छानी के कच्चे मकान को ही स्वरोजगार का माध्यम बनाया है। बीते तीन वर्षों से वो यहां गोशाला संचालित कर रहे थे, लेकिन अब इसे उन्होंने होम स्टे में तब्दील कर पर्यटन विभाग में पंजीकृत भी करा दिया है। इससे देश-विदेश के पर्यटक छानियों के जनजीवन से रूबरू हो सकेंगे।
जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 35 किमी दूर ब्लॉक मुख्यालय भटवाड़ी के पास बार्सू-दयारा मार्ग पर पर 38 वर्षीय विपिन की पुश्तैनी छानी है। यहां गर्मी व बरसात के दौरान उनका परिवार अपने मवेशियों के साथ रहता था। लेकिन, वर्ष 2017 से उन्होंने यहां गो पालन कर दूध बेचना शुरू कर दिया। इसकी शुरुआत उन्होंने एक होलिस्टन फ्रीजियन, दो जर्सी और दो बदरी गायों से की। लॉकडाउन के दौरान दूध की मांग घटी तो विपिन ने घी बनाकर बेचना शुरू कर दिया। इसी दौरान उनके मन में छानी को होम स्टे में तब्दील करने का विचार आया।
आइए आपको लिए चलते है एक ऐसे होम स्टे पर जो कुछ हटकर है