इस बार भी आसमानी आफत ने कही का नही छोड़ा। उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी तहसील अंतर्गत दयारा बुग्याल के बेस कैम्प में बसे खूबसूरत नटिन गाँव पर मानो कोई बुरी नजर लग गयी है। एक घंटे की वर्षा के बाद हुई ओला वृष्टि ने किसानों के सपनो को चूर चूर कर दिया। क्या आलू क्या सेब और क्या गेंहू सब बर्बाद हो गया। अभी कुछ दिन पहले ही किसान खेतो की निराई गुड़ाई करके निबटे ही थे कि आसमानी आफत ने सब कुछ बर्बाद कर दिया।
सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र पोखरियाल ‘कपूर ‘ ने बताया कि गाँव की किस्मत में ही दैवी आपदा झेलना लिख दिया गया है। पिछले वर्ष गाँव के ऊपर पन गोला फटने से फसल तो बर्बाद हुई ही थी लोगो के घरों में पानी और मलवा भर गया था। राहत के नाम पर 300 रु कही न कही किसान की मेहनत का मजाक उड़ाना ही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि आधुनिक बैज्ञानिक युग मे ओला वृष्टि को रोका जा सकता है, विभाग को चाहिए कि कुछ खास स्थानों पर तकनीकी का उपयोग कर किसानों को मदद की जाय ताकि लोग मिट्टी से जुड़े रहे और उन्हें अपनी मेहनत पर भरोसा कायम रहे, अन्यथा कोरोना काल मे इस कृषि रोजगार से लोगो का विश्वास उठ गया तो एक बड़ी आबादी को खाने के लाले पड़ सकते है।
हैरानी की बात तो ये है कि आसमानी आफत सिर्फ नटिन गाँव मे ही अपना कहर ढाती है, जबकि आसपास की गाँव द्वारी पहि, रैथल आदि में ऐसा कुछ नही हुआ, महेंद्र पोखरियाल ने बताया कि नटिन के ऊपर घना जंगल उगाने की सजा इस रूप में काश्तकारों को भुगतनी पड़ रही है।