उत्तरकाशी : नैनो से जल से पालिका ने की मैदान की परवरिश – किसने मारा चूण्डा ?

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उत्तरकाशी मे  आजाद मैदान कभी रामलीला मैदान तो कभी खेल मैदान के रूप मे अपनी पहिचान बनाकर किसी आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति की तरह खुद को ढांपने के कोशिस मे अपनी आजादी की मांग करता हुआ बेबस  निगाहों से टुकुर टुकुर आपकी तरफ देखत हुआ नजर आता है  और ये अहसास दिलाता है कि मेरी बरबादी मे तेरा भी कुछ हिस्सा तो जरूर है  |

उत्तरकाशी नगर के हार्ट मे बना हुआ  यह  रामलीला मैदान अब साइज़ मे  भले ही पहले की तुलना मे सिकुड़ गया हो पर इसके गोद मे पले – बढ़े और खेलने वालों की लंबी फेहरिस्त है , जो आज देश के किसी भी कोने मे हो और  उम्र के किसी भी पड़ाव पर हो – इस मैदान को याद जरूर करते है – उत्तरकाशी की कुशलक्षेम पूछने के बाद रामलीला मैदान से जुड़ी अपनी यादों का अवश्य जिक्र करते है |

इसी मैदान के पंडाल पर गला साफ  करते हुए छात्र नेता, विधायक और मंत्री सफलता की कितनी सीढ़ी चढ़ गए,  मैदान इसका गवाह है | कितने खिलाड़ी इस मैदान मे प्रैक्टिस के बाद दर्शको की ताली के साथ खेल की दुनिया मे आगे बढ़े, वो भी  इसे सब याद है | 26 जनवरी गणतन्त्र दिवस की शानदार पुलिस परेड देखने के लिए नगर के लोग किस तरह पहले से ही अपनी जगह आरक्षित कर देते थे सब कुछ तो  याद है इस मैदान को कहाँ कुछ भुला है ये – भूले है तो हम – इस मैदान के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को |  

अपनी इस  सब यादों के सहारे जी रहा उत्तरकाशी का रामलीला मैदान अब अपने चहेतों से   से उसकी आजादी की उम्मीद बांधे  बैठा है |

 ये मैदान अपनी खूबसूरत स्मृति पटल पर खूबसूरत यादों के साथ शबजी मंडी का कूड़ा – बस अड्डे की दुर्गंध और उस पर घूम रहे सुंवर के दृश्य को भुला देना चाहता है |

ऐसा नहीं है की इसके लिए प्रयास नहीं हुए है ,  कई बार हुए पर फिर बंट गए दलो मे,  वर्गो मे , जाती और धर्म मे और मैदान फिर उसी टीस के साथ सिसकते खड़ा है |

फिर मौका आया नगर पालिका चुनाव का – जब नगर मे कूड़ा डम्पिंग के लिए गंगोरी निवासियों ने साफ इंकार कर दिया – जियो ग्रिड दीवर के पास फेंके गए कूड़े  से नगर मे कडक शरद भरी दोपहरी मे मक्खियों  ने आतंका मचाना सुरू कर दिया – व्यापर मण्डल  ने शोर मचाया तो कूड़ा एक बार फिर आजाद मैदान के दिल मे सड़ान मारने लगा था |

इसी बीच नगर पालिका मे अध्यक्ष के दावेदार और कॉंग्रेस पार्टी के ऊमीद्वार रमेश सेमवाल  ने हनुमान चौक से छलक़ती आंखो से मतदाताओ को भरोसा दिलाया कि वे रामलीला मैदान को उसकी पीड़ा से आजादी दिलाना चाहते है,  तो एक बार फिर इस मैदान को अपनी मुक्ति के हसीन सपने दिखाई देने लगे – वह मुस्करा उठा |

चुनाव से पूर्व रमेश सेमवाल ने वादा किया कि नगर मे कूड़ा ऐसी कोई बड़ी समस्या नहीं है जिसका कोई  समाधान न हो बस इच्छा शक्ति होनी चाहिए |  उन्होने एक और  कदम आगे बढ़ाते  हुए हनुमान चौक की प्राचीर से  घोषना कर डाली कि वे पालिका अध्यक्ष का चुनाव जीतने के बाद इस मैदान मे हरी घास उगाएँगे |

इस घटना को लंबा अरसा बीत गया पर  गंदगी का आतंक मैदान से कम नहीं हुआ –  मैदान एक बार फिर से कराह उठा |

 मैदान को इस तरह पीड़ा मे  देख कुछ युवाओ ने इसके चक्कर काटे और प्यार से इसके सर पर हाथ रखा तो देखा कि इसके अंचल मे शराब के अद्धे,   स्मैक की खाली पुड़िया और भांग के ठुड्डे इसकी खूबसूरती पर दाग लगा रहे थे , साथ ही आने वाली पीढ़ी को गर्त मे ले जाने का कारण बन रहे थे,  फिर क्या था सोसल मीडिया पर एक अभियान की सुरुवात हुई और धीरे धीरे इस आंदोलन मे लोगो की भीड़ जुटने लगी |

डीएम उत्तरकाशी मयूर दीक्षित ने युवाओ की इस पहल का स्वागत करते हुए अपने स्तर से भरपूर सहयोग करने का भरोसा दिलाया | उन्होने बताया कि नगर मे छोटे छोटे पार्किंग स्थल विकसित किए जा रहे है ताकि मुख्यालय  मे पार्किंग  का लोड कम हो सके |

नगर पालिका अध्यक्ष ने बताया कि मैदान से ठेली और फड़ी को बाहर करने के निर्देश दिये है | गाड़ियो की  पार्किंग भी रोक दी गयी है और अपनी घोषणा  पर कायम रहते हुए वे जल्द ही मैदान मे हरी घास बिछाने का काम करने जा रहे है | जहा भी कूड़ा डालने की अनुमति मिलती है वहा विरोध के बाद न्यायालय से स्थगन आदेश मिल जाता है और रामलीला मैदान मे घास उगाने को जिला प्रशासन सहयोग नहीं कर रहा है |

फिलहाल आजाद मैदान की हालत 45 से ऊपर उम्र के उस व्यक्ति की तरह हो गयी है जिनसे सरकार और डाक्टर के कहने पर कोरोना वैक्सीन की दो डोज़ लगा तो दी है पर महामारी की तीसरी लहर का वह कितना बचाव कर पाएगी ये अभी देखना दिलचस्प होगा   

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