विजय दिवस 2025: 54 साल बाद भी अमर है 1971 की गाथा, ज्ञानसू में श्रद्धा और सम्मान का महासंगम

Share Now

शौर्य स्थल पर गूंजा ‘वंदे मातरम्’, शहीदों को नम आंखों से सलाम

ज्ञानसू (उत्तरकाशी)
सुबह की ठंडी हवा, हाथों में पुष्पचक्र और आंखों में गर्व… जिला मुख्यालय स्थित शौर्य स्थल ज्ञानसू आज इतिहास और भावनाओं का जीवंत साक्षी बना। भारत-पाक युद्ध की 54वीं वर्षगांठ—विजय दिवस पर जिले ने उन वीर सपूतों को नमन किया, जिन्होंने देश की सीमाओं की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए।


🕯️ शहीद गार्डसमैन सुंदर सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि

मुख्य समारोह में गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान, जिलाधिकारी प्रशांत आर्य, मुख्य विकास अधिकारी जय भारत सिंह, पुलिस उपाधीक्षक जनक पंवार सहित प्रशासन और समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
सबसे भावुक क्षण तब आया, जब 1971 के युद्ध शहीद गार्डसमैन सुंदर सिंह के चित्र पर पुष्पचक्र अर्पित किए गए।

राज राइफल्स, आईटीबीपी, उत्तराखंड पुलिस और एनसीसी की टुकड़ियों ने शहीदों के सम्मान में गार्ड ऑफ ऑनर पेश किया—हर सलामी के साथ देशभक्ति और गर्व और गहरा होता चला गया।


🎖️ वीरनारी का सम्मान, हर आंख हुई नम

समारोह में शहीद सुंदर सिंह की धर्मपत्नी वीरनारी श्रीमती अमरा देवी को शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
यह क्षण सिर्फ सम्मान का नहीं, बल्कि उस त्याग का स्मरण था, जो हर सैनिक परिवार चुपचाप करता है।


🗣️ नेताओं के शब्दों में शौर्य की गूंज

विधायक सुरेश चौहान ने कहा—

“1971 की विजय केवल सैन्य जीत नहीं थी, यह सत्य, न्याय और मानवीय मूल्यों की जीत थी। शहीदों का बलिदान हमारी आज़ादी की नींव है।”

जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने कहा—

“देश की संप्रभुता और एकता की रक्षा करने वाले वीर जवानों और उनके परिवारों के प्रति कृतज्ञ रहना हमारा कर्तव्य है।”

सीडीओ जय भारत सिंह ने कहा—

“हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं तो सिर्फ और सिर्फ हमारे वीर सैनिकों के पराक्रम के कारण।”


🇮🇳 पूर्व सैनिकों की मौजूदगी ने बढ़ाया गौरव

कार्यक्रम में विश्वनाथ पूर्व सैनिक संगठन, पूर्व सैनिक कल्याण समिति और सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी ने समारोह को और गरिमामय बना दिया।
संचालन जिला समाज कल्याण अधिकारी सुधीर जोशी एवं पर्यावरण विशेषज्ञ प्रताप सिंह मटूडा ने किया।


🔥 अंतिम पंक्तियाँ

विजय दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं—यह याद दिलाता है कि आज की शांति, कल के बलिदान से मिली है।
जब तक हिमालय खड़ा है, तब तक शहीदों का सम्मान और उनकी गाथा अमर रहेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!