जजों की नियुक्ति पर उठे सवाल

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जजों की नियुक्ति में संविधान का उल्लंघन, जज नक्सली आतंकवादी गैंग की साजिश के शिकार- हिन्दू संगठन
अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चन्द्र प्रकाश कौशिक जी की अध्यक्षता में हिन्दू महासभा भवन में हुई हिन्दू संगठनों की बैठक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा संविधान का उल्लंघन करके की जा रही जजों की नियुक्ति की सिफारिश पर गहन चिन्ता जाहिर की।

अंकित तिवारी
बैठक में दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन नेे बताया कि जजों के असंवैधानिक काॅलिजियम द्वारा हाल ही में जिस प्रकार से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की अन्धाधुन्ध सिफरिशें सरकार को भेजी गयी हैं, उसका अधिकार संविधान इन्हे बिल्कुल भी नहीं देता। यह सरासर संविधान के अनुच्छेद 124क ,124.2 और 124.3 और 217 का उल्लंघन है। जिसमें सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के जजो की नियुक्ति राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग द्वारा करने का संविधानिक आदेश है। श्री जैन ने स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 217 के तहत की जाती है जिसमें लिखा है कि ‘‘भारत के मुख्य न्यायमूर्ति से उस राज्य के राज्यपाल से और मुख्य न्यायमूर्ति से भिन्न किसी न्यायाधीश की नियुक्ति की दशा में उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति से परामर्श करने के पश्चात् राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा उच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश को नियुक्त करेगा । ’’

बैठक में अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चन्द्र प्रकाश कौशिक जी ने चिन्ता जाहिर की कि काॅलेजियम जिस प्रकार से संविधान का उल्लंघन करके उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश कर रहा है और उससे जिस प्रकार से संविधान के अनुच्छेद 217 का स्पष्ट उल्लंघन हो रहा उससे साफ है कि सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सहित अन्य जज साजिश या ब्लैकमेल के शिकार होकर ही संविधान का उल्लंघन करने को बाध्य हुए है, जिसकी जांच होना जरूरी है। संविधान के अनुच्छेद 217 के तहत उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में केवल और केवल भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और राज्य के राज्यपाल ही राष्ट्रपति जी को सलाह दे सकते हैं, अन्य न्यायाधीश नहीं। श्री कौशिक ने आशंका प्रकट की कि सर्वोच्च न्यायालय के जज जिस प्रकार से संविधान का उल्लंघन करके न्यायाधीशों की नियुक्ति कर रहे है उसके पीछे सी आई ए, उसकी फंडिग और उसका नक्सली आतंकवादी ईसाई मिश्निरी वकीलों और जजों का गैंग काम कर रहा है। जो सर्वोच्च न्यायालय में केवल और केवल नक्सली मिश्निरी आतंकवादियों के रहनुमा जजों और वकीलों को चाहता है ताकि जी एन साई बाबा जैसे खूंखार नक्सली मिश्निरी आतंकवादी को जगदीश सिंह खेहर जैसे सी आई ए के ऐजेन्ट जजों द्वारा हर बार जमानत दिलवायी जा सके। सी आई ए की ऐजेन्ट तीस्ता शीतलवाड़ को फोन पर जमानत दिलवायी जा सके। जिस प्रकार से संविधान का उल्लंघन करके काॅलेजियम ने सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की दनादन नियुक्ति की सिफारिश सरकार से की, उससे लगता है कि इन्दिरा जय सिंह,प्रशान्त भूषण, कामिनी जायसवाल, दुष्यन्त दवे,उत्सव वैंस जैसे सी आई ए के फंडखोर नक्सली मिश्निरी आतंकवादी वकीलों का गैंग उन्हे ब्लैकमेल करने और अन्य जजों को शीशे में उतारने के अपने मकसद में सफल हो गया हैं।
हिन्दू संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कानून मंत्री सहित राज्यपालों और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध किया कि वें जजों की नियुक्ति में अपने संवैधानिक दायित्वों का पूर्ण निर्वाह करें। हिन्दू संगठनों ने आगाह कया कि जिस प्रकार से सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री दीपक मिश्रा, धनन्जय चन्द्रचूड़ ने प्रघानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश रचने वाले देशद्रोहियों की याचिका पर तत्काल सुनवायी करके उन्हे 1 घन्टे में राहत दी उससे जजों की नियुक्ति के सम्बन्ध में सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के देशद्रोही जजों और वकीलों के गैंग पर पैनी नजर रखने की ज्यादा जरूरत है।

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