प्रकॄति तू लाजबाब।
क्या कहता है तेरा या कैनवास?
सुंदरता देखने वाले की नजर में होती है।
गिरीश गैरोला।
एक आर्टिस्ट जब कैनवास पर रंग भरता है तो चित्र सजीव ही उठते है। किंतु जब खुद कुदरत के रंगों को अपनी आंखों से देखो तो इंसान कही खो सा जाता है एक अजीब सा नशा छा जाता है, और प्रकृति प्रेम से झूम उठता है।
नेचर की इस कलाकारी को देखने के लिए मन की आंखों की भी जरूरत होती है।
अब सड़क किनारे लगी इस दीवार पर आकर लेती जड़ो को ही देख लीजिए आपको इस चित्र के अलग अलग मायने समझ जाएंगे। जैसी दृष्टि वैसे ही उसके अर्थ भी। जब दीवार बानी थी तब ये पेड़ की जड़े ऐसी नही थी किन्तु धीरे धीरे इन्होंने कलात्मक रूप धारण कर लिया। अब ये पालिका के ऊपर है कि वे इसे कैसे सेल्फी पॉइंट के रूप में विकसित करें।
उत्तरकाशी मुख्यालय में गंगोत्री सड़क मार्ग पर जल संस्थान टैंक के पास यह दिलचस्प नजारा है आप भी देखकर अपने कॉमेंट्स जरूर करे आपको कैसा लगा।