धरना स्थल न हटाने और सड़क हादसे में नियम बदलने को सीएम से मिले – सभी दलों के बुजुर्गों के साथ कांग्रेस के किशोर

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लंबे समय से मित्र बिपक्ष का तमगा मिलने के बाद अब कांग्रेस पार्टी न सिर्फ खुद को बदलने में लगी है बल्कि सभी दलों को साथ लेकर जनहित के मुददो को लेकर मुखर होने लगी है ताकि जनता में फिर से विश्वास पैदा किया जा सके , पूर्व पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय ने इस प्रयोग पर अमल सुरु कर दिया है।

गिरीश गैरोला

उत्तराखंड में सड़क व वाहन दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिये एक उदार व सम्यक् नीति बनाने तथा धरना स्थल को परेड ग्राउंड से शिफ़्ट न करने को लेकर राज्य के एक सर्व दलीय व सर्व पक्षीय प्रतिनिधि मण्डल ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, मंत्री श्री मदन कौशिक और श्री धन सिंह रावत से मुलाक़ात की।
प्रतिनिधि मण्डल ने कहा कि लोकतन्त्र में अपनी बात को रखने के लिये धरने, प्रदर्शन व रैलियाँ लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंग है।
असहमति के स्वरों को सुनना और सम्मान देना लोकतंत्र की बुनियाद है।
दिल्ली में भी जन्तर मन्तर को हटाने की कुत्सित चेष्टा की गयी थी, लेकिन सरकार को अपने कदम पीछे हटाने पड़े।
प्रतिनिधि मण्डल ने कहा कि धरने स्थल को परेड ग्राउण्ड से हटाना लोकतंत्र की जड़ों पर मट्ठा डालने जैसा कदम है। सरकार इस निर्णय को वापस ले।
प्रतिनिधि मण्डल ने प्रदेश में वाहन दुर्घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी पर भी चिन्ता व्यक्त की और ज्वारना-बंग्याल मोटर मार्ग पर हुई मैक्स वाहन दुर्घटना में घायलों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है साथ ही इस दुर्घटना में मृतक आश्रितों के परिजनों को अभी तक क्षतिपूर्ति की भी घोषणा सरकार द्वारा नहीं की गयी है।
प्रतिनिधि मण्डल ने कहा कि उत्तराखंड को भी राजस्थान की तरह
इस मामले में नीति बनानी चाहिये और मृतक आश्रित परिवार को कम से कम रू. 10 लाख सहायता राशि प्रदान करनी चाहिये। इस महंगाई के जमाने में लाख-दो लाख रुपय्ये से कुछ नहीं होता और मृतक के परिवार के एक सदस्य को
योग्यतानुसार पक्की सरकारी नौकरी दी जानी चाहिये।

  1. ड्राइवर के पास वैध लाईंसेंस था कि नहीं?
  2. गाड़ी का बीमा था कि नहीं?
  3. सवारियाँ क्षमता से ज़्यादा तो न थीं?
  4. सड़क पर वाहनों के आवागमन की अनुमति थी या नहीं?
    इन अभागे यात्रियों को कैसे पता चलेगा? यह काम शासन, प्रशासन और सरकार का है?
    इन बातों का असर क्षतिपूर्ति प्रदान करने में नहीं पड़ना चाहिये।
    इस दौरान किशोर उपाध्याय, प्रो. एस,एन. सचान, बच्चीराम कौंसवाल, समर भंडारी,
    सुश्री रजिया बेग,राकेश पन्त, शंकर गोपाल, जयकृत कंडवाल आदि लोग शामिल थे।
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