शुभ निकाह परमार्थ निकेतन में- गंगा आरती में सामिल हुए फिल्मी कलाकार -अभिनेत्री आक्षा पार्दसनी और अभिनेता रोहित मिश्रा ने किया सहभाग

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ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में फिल्म शुभ निकाह के अभिनेत्री आक्षा पार्दसनी, अभिनेता रोहित मिश्रा, निदेशक अर्शल सिद्दकी और पूरी टीम पहुंची। उन्होने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंट कर गंगा आरती में सहभाग किया।

गिरीश गैरोला

फिल्म शुभनिकाह के कुछ दृश्य परमार्थ गंगा आरती और आस-पास के क्षेत्र में फिल्मायें गये है। कहा जा रहा है कि फिल्म केे 90 प्रतिशत दृश्य उत्तराखण्ड की वादियों के है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारतीय सिनेमा तक भारत के बहुत बड़े वर्ग की पहंुच है। समय-समय पर सिनेमा के माध्यम से अनेक त्त्कई बार फिल्मों में माध्यम से समाज की अनेक समस्याओं को दर्शाया जाता है जिसका सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलता है।

भारत की गौरवमयी संस्कृति को भी अनेक फिल्मों के माध्यम से दिखाया गया है। परन्तु मुझे लगता है अब हमारी फिल्में पर्यावरण संरक्षण पर केन्द्रित होना चाहिये। प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के बिना स्वस्थ जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखण्ड वास्तव में धरती पर स्वर्ग के समान है। यहां की वादियों में अध्यात्म और प्रकृति की सुरम्यता विद्यमान है। यहां की अपार जल राशी और वनों के खजाने के सुरक्षित रखने के लिये एकल उपयोग प्लास्टिक को बंद करना पड़ेगा।

स्वामी ने कहा कि मानवीय गतिविधियों के कारण जल का जो प्रदूषण हो रहा है उससे भूमिजल के साथ हमारे जल के भण्डार नदियां और महासागर भी प्रदूषित हो रहे है। वैज्ञानिक, महासागरों के प्रदूषित होने का प्रमुख कारण नदियों को मान रहे हौ क्योंकि नदियां जल के साथ भारी मात्रा में प्लास्टिक बहा कर ले जाती है। सांइस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में महासागर सफाई परियोजना के शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि समुद्र में 5 ट्रिलियन पाउंड प्लास्टिक तैर रहा है और इसका दो-तिहाई हिस्सा विश्व की 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित नदियों से आता है जो महासागरों के प्रदूषण के लिये जिम्मेदार प्लास्टिक का 67 प्रतिशत है। अध्ययन के आधार पर प्रदूषण के लिये चीन की यांग्त्जे नदी का अहम योगदान है। इस नदी द्वारा प्रतिवर्ष 727 मिलियन पाउंड प्लास्टिक को सागर में डंप किया जा रहा है तथा भारत की गंगा नदी द्वारा 98 मिलियन पाउंउ प्लास्टिक प्रतिमाह समुद्र में आ रहा है।समुद्री विशेषज्ञों के अनुसार इसी प्रकार प्लास्टिक समुद्र में गिरता रहा तो वर्ष 2050 तक वजन के हिसाब से समुद्र में मछलियों से अधिक प्लास्टिक होगा।

प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकडे जिनकों माइक्रो प्लास्टिक कहा जाता है वे फूड चेन के द्वारा मानव शरीर और पर्यावरण में आ रहे है जिससे कैंसर व अन्य भयावह व्याधियाँ उत्पन्न हो रही है। अतः प्लास्टिक को जीवन से हटाने के लिये गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। स्वामी जी ने गंगा आरती में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं औ फिल्म शुभनिकाह की टीम को एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्प कराया।

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