पर्वतारोहण में पर्यटन पर पर शांति हुई अशांत

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चार धाम यात्रा पर उत्तराखंड आने वालों के लिए खुस खबरी है। इस वर्ष सड़क के पास ही पर्यटको को बर्फवारी से खेलने का मौका मिलेगा , वही सड़क पर पसरे ग्लेशियर के बीच बर्फ काटकर गुजरने का एडवेंचर भी एक अलग रोमांच का अनुभव देने वाला है।
इस वर्ष की भारी बर्फवारी से जहाँ साहसिक पर्यटन और पर्वतारोहण से जुड़े कारोबारी खुस है,  वही पर्यावरण को लेकर चिंतित ग्लेसियर लेडी  ने ग्लेशियर पर मानवीय आवाजाही को प्रतिबंधित करने की अपनी पुरानी मांग एक बार फिर से दोहराई है। बताते चले कि शांति ठाकुर के प्रयासों के बाद गौमुख में कावड़ भरकर वहाँ पुराने कपड़े छोड़ने की परंपरा में कुछ बदलाव देखने को मिला है अब ज्यादातर कावड़ गंगोत्री से ही जल भरने को सहमत हो जाते है।

गंगोत्री यमनोत्री सहित उत्तराखंड के चार धाम यात्रा मार्ग पर पर्यटको को इस वर्ष अच्छी बर्फवारी सड़क के पास ही देखने को मिलेगी। इसके अलावा मार्च अंतिम सप्ताह तक पहाड़ी चोटियों पर हो रही बर्फवारी से पिछले 10 वर्ष के सभी रिकॉर्ड टूट चुके है। हल्की धूप पड़ने के बाद पहाड़ी ढाल पर रुके हुए गलेशियर भी फिसल कर रास्ट्रीय राजमार्ग तक पसर गए है। इन्ही ग्लेसियरो को बीच से काट कर वाहनों।की आवाजाही सुनिश्चित कराई जा रही है। भारी बर्फवारी के बाद ऐसे दुर्लभ नजरो को।लेकर जहाँ सूबे के पर्यटन विभाग अति उत्साहित है वही पर्यवरण की चिंता लिए ग्लेशियर लेडी नाम से चर्चित शांति ठाकुर ने गंगोत्री यमनोत्री धाम से ऊपर पर्यटको की आवाजाही पर नाराजगी जताई है। राज्यपाल को।लिखे ज्ञापन में शांति ठाकुर ने आरोप लगाया कि पर्यटन के नाम पर ग्लेसियरो से के साथ छेड़छाड़ को बर्दाश्त नही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्वतारोहण के नाम पर प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नही की जानी चाहिए।

गौरतलब है कि इस वर्ष पर्वतारोहण के शौकीन लोगो के लिए एक अप्रैल से गंगोत्री में साहसिक पर्यटन खोलने की बात कही जा रही है। साहसिक पर्यटन से जुड़े कारोबारियों की पहल पर पिछले वर्ष से एक अप्रैल को मार्ग खोलने पर सहमति बनी थी। इसे पूर्व गंगोत्री कपाट खुलने के साथ ही साहसिक पर्यटको को भी अनुमति दी जाती रही है।
गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक बीबी शर्मा ने बताया कि इस बार गंगोत्री धाम में अभी तक भी 4 से 5 फ़ीट बर्फ मौजूद है। गंगोत्री से आगे कनखू बैरियर से आगे फारेस्ट की टीम रास्ते की स्थिति देखने जाएगी उसके बाद ही एक अप्रैल से केवल पर्वतारोहण की ट्रेनिंग लिए पर्यटकोंको ही गंगोत्री नेशनल  पार्क में आगे जाने की अनुमति प्रदान की जाएगी। वही लोकल पर्यटको को 15 अप्रैल के बाद ही अनुमति दी जाएगी।
ग्लेशियर से छेड़छाड़ के सवाल पर पार्क निदेशक ने कहा कि लोकल टूरिस्ट की तुलना में पर्वतारोही संख्या में कम होते है और पर्यावरण के प्रति सचेत होते है फिर भी वर्ष 2008 के बाद से गौमुख तपोवन क्षेत्र में एक दिन में केवल 150 पर्यटको को ही जाने की अनुमति दी जाती है। इसके अलावा पर्यटको से सेक्युरिटी मनी ले ली जाती है वापसी में उपयोग किये गए पॉलीथिन की वापसी के बाद वापस लौटा दी जाती है।
उन्होंने बताया कि पार्क क्षेत्र में दुर्लभ प्रजाति के स्नो लेपर्ड अच्छी तादाद में है, जिनकी निगरानी के लिए ऑफ सीज़न में 28 थर्मल कैमरे लगाए गए है। वर्ष में दो बार कैमरो की बैटरी बदलनी होती है। ये कैमरे जंगल मे  किसी भी हरकत को कैद कर लेते है ।

https://youtu.be/Dl7mYOquOGw

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