प्रदेश को हवाई मार्ग से जोड़ने की उत्तराखंड सरकार की उड़ान योजना बदले रूट के बाद बढ़े हुए किराये के चलते जमीन पर ही रेंगती दिखाई दे रही है। आलम ये है कि 16 दिनों के 8 लैंडिंग के बाद सिर दो लोगो ने देहरादून से गौचर इस हवाई सेवा का उपयोग किया।
गिरीश चंदोला चमोली
16 दिनों में गौचर-देहरादून की सेवा में महज दो लोगों द्वारा आवाजाही की जा सकी है। स्थानीय लोग सेवा को संचालन कर रही कंपनी द्वारा निर्धारित किराये व यात्रा रुट को अव्यवहारिक बताते हुए उपयोग नहीं कर रहे हैं। जिससे आम लोगों को हवाई सेवा उपलब्ध कराने के सरकारी प्रयास जमीन पर नहीं उतर पा रहे हैं। दरअसल गौचर से देहरादून जाने के लिए श्रीनगर टिहरी का रूट निर्धारित किया गया है जिसका दो गुना किराया लोगो को माफिक नही बैठ रहा है। पूर्व में हैरिटेज एवियेशन की तरफ से गौचर देहरादून का किराया 4120रु निर्धारित किया गया था, अब पवन हंस सेवा देहरादून जानेके लिए श्रीनगर- टिहरी के रूट से होते हुए देहरादून जा रही है और इसका दो गुना किराया 8700रु ले रही है। इन्ही अव्यवहारिक पहलुओं के चलते योजना फ्लॉप होती दिखाई दे रही है।
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा केंद्र सरकार की उड़ान योजना के तहत फरवरी माह में देहरादून से गौचार और चिनियालीसौड़ के लिये हवाई सेवा शुरु की। जिसके लिये सरकार की ओर से हैरिटेज एवियेशन से अनुबंध किया गया था। जिस पर कंपनी की ओर से गौचर से देहरादून तक के लिये 4 हजार 120 रुपये किराया निर्धारित किया गया था। वहीं देश में उडान सेवा लागू करने वाला पहला राज्य बनने पर उत्तराखंड सरकार को प्रोएक्टिव पुरस्कार भी मिला था। लेकिन मार्च माह में लॉकडाउन के चलते सेवा को बंद कर दिया गया। जिसके बाद सरकार की ओर से अनलॉकडाउन के बाद बीती 31 जुलाई को पुनः सेवा का संचालन शुरु किया गया। जिसके लिये सरकार द्वारा पवन हंस कंपनी से अनुबंध किया गया और कम्पनी की ओर से गौचर से देहरादून की आवाजाही के लिये गौचर, श्रीनगर, टिहरी होते हुए देहरादून का रुट निर्धारित किया गया। ऐसे में यात्री को किराये के रुप में 8,700 की धनराशि का भुगतान करना पड़ रहा है। ऐसे में स्थानीय लोग जहां दोगुने किराये के चलते हवाई सेवा का उपयोग नहीं क रहे हैं। वहीं श्रीनगर और टिहरी होते हुए देहरादून जाना भी लोगों का रास नहीं आ रहा है।
मुकेश नेगी पूर्व नगर पालिका अध्य्क्ष गौचर। जकृत बिष्ट स्थानीय निवासी