आपदा में बेतार पुलिस

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 बेतार  पुलिस आपदा में।
आपदा के टिन शेड में चल रहा पुलिस संचार कार्यालय।
आपदा प्रबंधन और कानून व्यवस्था में प्रथम भूमिका निभाने वाली यूनिट खुद आपदा में।
गिरीश गैरोला
आपदा और कानून व्यवस्था जैसे संवेदनशील मुद्दों के साथ vip ड्यूटी में सबसे पहले एक्शन में आने वाली पुलिस संचार सेवा वर्ष 1991 से  आपदा कक्ष में संचालित हो रही है।
  विभाग के पास अपनी जमीन होने के बाद भी 27 वर्षो से टूटी बल्लियों वाले टिन शेड में छत से गिरने वाले कीड़े मकोड़ो और मिट्टी से रोकने के लिए तिरपाल का सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसे में शासन और जिला प्रशासन के बीच गोपनीय सूचनाये कितनी सुरक्षित है अंदाजा लगाया जा सकता है।

आपदा के लिहाज से अतिसंवेदनशील जनपद उत्तरकाशी मे पुलिस संचार विभाग एक तीन शेड मे सीएचएल रहा है | वर्ष 1991 की आपदा के बाद बने हुए तीन शेड मे पुलिस की संचार सेवा सिसक रही है |
जनपद मे आपदा की घटना मे त्वरित कार्यवाही करनी हो अथवा क्नुन व्यवस्था की बात हो सबसे पहले चुस्त दूरस्त संचार सेवा की जरूरत होती है  किन्तु आपदाग्रस्त जनपद उत्तरकाशी खुद वर्ष 1991 की आपदा राहत के लिए बने हुए तीन शेड मे किसी तरह अपने 52 संचार स्टाफ को संभाले हुए है | विभाग के पास अपनी जमीन तो है किन्तु भवन नहीं है इसी वजह से आधा  सेटअप पुलिस लाइन मे चलाने की मजबूरी है | रेडियो निरीक्षक सचिन कुमार कहते है की स्थान की कमी के चलते कुछ  स्टाफ को पुलिस लाइन ज्ञानसु मे शिफ्ट किया गया है ऐसे मे दोनों स्थानो पर एक साथ नियंत्रण रखने मे दिक्कत लाज़मी है |


वीआईपी कार्यक्रम हो अथवा कोई भी आपात स्थिति कानून  व्यवस्था पर नियंत्रण के लिए बेहतर संचार व्यवस्था जरूरी होती है | उत्तरकाशी रेडियो निरीक्षक कार्यलय विश्वनाथ मंदिर के पिछले हिस्से मे बनाया गया है | कायलय का सूचना पट देखकर जितनी खुसी होती है अंदर का नजर देखकर उतना ही दुख भी होता है | कार्यालय के नाम पर बने हुए टिन शेड को थामने वाली बल्लियां  सड़ गयी है उन्हे किसी तरह रस्सियों से  बांध कर खड़ा रखा गया है , छत से मिट्टी न गिरे इसलिए तिरपाल भी बांधा  गया है। कार्यलय  कमरो मे सीलन आ रही है | कमरो को देखकर अंदाज लगाना मुसकिल है कि ये कोई  स्टोर है या कबादखाना | संचार सेवा के उपकरणो को चार्ज रखने की बैटरी कक्ष की हालत देखिये जो किसी कबाड़ी  की दुकान सी लगती है |


जनपद मे आपदा घटित  होने पर सबसे पहले इलाके के सूचना तंत्र स्थापित करना होता है ताकि सूचना के बाद उसी तर्ज  पर पुलिस के बचाव दल के साथ राहत भी भेजी जा सके | बिना सूचना तंत्र  के आपदा प्रबंधन संभव ही नहीं और न  कानून व्यवस्था ही |


रेडियो निरीक्षक सचिन कुमार ने बताया की वर्ष 1991 मे भूकंप की आपदा के बाद   जो टिन शेड बनाए गए थे उन्ही  मे विभाग का कार्य चल रहा है | इसी कक्ष से गोपनीय संदेश भेजे  और प्राप्त किए जाते है | जिसमे आरआई ऑफिस , आरएमओ स्टोर , एचएफ़ स्टेशन ,  बैटरी चार्ज यूनिट , पोल नेट , डीसीआर ऑफिस स्थापित किया गया है जबकि जिला कंट्रोल रूम को स्थान के  अभाव मे पुलिस लाइन मे स्थापित करना मजबूरी हो गया है | उन्होने बताया  कि कार्यालय भवन के लिए एक करोड़ 58 लाख का एस्टिमेट तैयार कर शासन को भेजा गया है जिस पर स्वीकृति लंबित है

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