उत्तराखंड मे सुशासन देने का दावा करने वाली बीजेपी सरकार अपने ही विधायक और मंत्रियों की ही शिकायत दूर नहीं कर प रही है तो जनता कहाँ दस्तक दे ? चर्चा मे आए लोक निर्माण विभाग मे कभी मंत्री के दस्तखत से कोई विभाग का मुखिया बन जाता है तो कभी विधायक के फर्जी हस्ताक्षर हो जाते है । अब जब मंत्री और विधायक ही फरियादी बनकर पुलिस के सामने खड़े है तो आम जनता का क्या हाल होगा , समझ जा सकता है ।
सत्ता पक्ष यानी भारतीय जनता पार्टी के भीतर इन दिनों अजीब सी बेचैनी दिखाई दे रही है । भारतीय जनता पार्टी मे मंत्री और विधायक क्यों परेशान होने लगे हैं ? क्या कोई बड़ा खेल होने वाला है ? आखिर कौन साजिश कर रहा है? कौन सियासत कर रहा है ?
पुरोला विधानसभा सीट से विधायक दुर्गेश्वर लाल सीएम के बाद दूसरे नमबर के सीनियर मंत्री कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के विभाग लोक निर्माण विभाग पर सवालिया निशान खड़े किए हैं तमाम तरह के आरोप लगाए हैं और जांच की मांग की भी की है
विधायक का आरोप यह है कि उन्होंने सतपाल महाराज के पीडब्ल्यूडी विभाग को अपनी विधान सभा मे सड़क निर्माण के लिए एक पत्र भेजा था और वह पत्र किसी ने वहां से गायब कर दिया इतना ही नहीं उसमें से विधायक के साइन का फर्जी हस्ताक्षर स्कैन कर एक शिकायती पत्र भेज दिया जिसे सीएम के अलावा उत्तरकाशी डीएम को भी प्रेषित किया गया
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सतपाल महाराज के पीडब्ल्यूडी विभाग से विधायक का पत्र किसने गायब करवाया ? यह बहुत गंभीर सवाल है और दूसरी तरफ शिकायती पत्र में यह लिख दिया गया कि नैनीताल हाईकोर्ट ने पुरोला में अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे लेकिन सरकार और प्रशासन ने उस पर कोई एक्शन नहीं लिया लेकिन पैसे देकर नौकरिओ बांटने वाले केस मे आरोपी हाकम का रिजल्ट तोड़कर करोड़ों की संपत्ति का नुकसान जरूर किया गया , इसलिए जो दूसरा अतिक्रमण है उसे भी हटाया जाना चाहिए
अब विधायक कोई समझ नहीं आ रहा है उनका पत्र गायब कर उनके फर्जी दस्तखत किसने कर दिए ? सवाल बहुत सारे हैं शिकायतें भी बहुत सारी है
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तो विधायक के लेटर हेड पर फर्जी तरीके से दस्तखत हो गए और वह कह रहे हैं कि स्कैन करके किया गया है उन्होंने डीजीपी से शिकायत की है मुकदमा भी दर्ज करवाया है और आरोपियों को पकड़ने की मांग भी की है
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विधायक के कह रहे हैं उनका फर्जी लेटर हेड फर्जी दस्तखत के जरिए शिकायतें पत्र जारी किया गया है
बड़ा सवाल ये है कि पीडब्ल्यूडी विभाग मे मंत्री सतपाल महाराज के भी फर्जी दस्तखत से विवाद होता है और मंत्री को पता ही नहीं चलता है , मामला तब भी पुलिस मे दर्ज होता है और अब विधायक भी आरोप लगा रहे हैं कि उनके फर्जी दस्तखत किए गए हैं आखिर यह उत्तराखंड में सरकार चल रही है सर्कस , लोग वोट दे रहे है या सर्कस का टिकट खरीद कर मनोरंजन कर रहे है ?
जब प्रदेश मे विधायक और मंत्रियों के फर्जी दस्तखत हो रहे हैं ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड के सरकारी महकमों का क्या हाल होगा और उत्तराखंड के जनता के काम कैसे होते होंगे और उत्तराखंड ऐसे में कैसे तरक्की करेगा पीएम मोदी का अगला दशक उत्तराखंड है इसको मंजिल कैसे मिलेगी ?