उत्तरकाशी में अष्टादश महापुराण रामकथा का समापन

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उत्तरकाशी। उत्तरकाशी के रामलीला मैदान में चल रहे नौ दिवसीय अष्टादश महापुराण का सैकड़ों देव डोलियों की मौजूदगी में भव्य भंडारे के साथ समापन हो गया। इस मौके पर राष्ट्रीय संत मुरलीधर महाराज ने राम कथा प्रवचन करते हुए कहा कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए भगवान राम के आदर्शों को अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भगवान राम के आदर्शों पर चलकर जीवन में सुख समृद्धि पाई जा सकती है।
अष्टादश महापुराण समिति उत्तरकाशी की ओर से शहर के रामलीला मैदान में 23 अप्रैल से 1 मई तक आयोजित नौ दिवसीय अष्टादश महापुराण का रविवार को विधिवत पूजा अर्चना और ढोल नगाड़ों के साथ दिव्य और भव्य डोलियों तथा 101 ब्राह्मणों के मुखारविंद से ऊंचे वेद स्वरों के साथ संपन्न हुआ। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में दूरदराज क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने विभिन्न देव डोलियों के दर्शन किए और राम कथा का श्रवण किया। समापन अवसर पर शहर के पंजाब सिंध क्षेत्र में भव्य भंडारे का आयोजन भी किया गया जहां सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने लंगर लगाकर प्रसाद ग्रहण किया। वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर में चल रहे अति रुद्र महायज्ञ का 22 विद्वान पंडितों की मौजूदगी में विधि विधान पूजा अर्चना के साथ संपन्न हुआ

अष्टादश महापुराण समिति के अध्यक्ष हरि सिंह राणा ने कहा कि अष्टादश महापुराण रामकथा का विधिवत समापन हो गया है। उन्होंने कथा के सफल संचालन पर शहर के सभी प्रबुद्ध जनों का आभार व्यक्त किया।इसके साथ ही राणा ने जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। मुख्य व्यवस्थापक भंडारण राजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि हर रोज नौ दिनों तक लगभग 15 सौ भक्तों ने भंडारे में भोजन कर पुण्य अर्जित किया। इससे पूर्व राष्ट्रीय संत मुरलीधर महाराज ने केदार घाट स्थित गंगा घाट पर विशेष पूजन आरती कार्यक्रम में भाग लिया और लोगों से गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता को आगे आने की अपील की। इस मौके पर अध्यक्ष हरि सिंह राणा, महासचिव रामगोपाल पैन्यूली, संयोजक प्रेम सिंह पंवार, मुख्य यजमान डॉक्टर हरिशंकर नौटियाल, गोपाल सिंह राणा, व्यवस्थापक घनानंद नौटियाल, किरण पंवार, रामकृष्ण नौटियाल, ज्योतिषाचार्य व गोल्ड मेडलिस्ट सुरेश चंद्र भट्ट, महावीर रावत, जीतवर सिंह नेगी, मीरा उनियाल, विजय संतरी, नत्थी सिंह रावत, भूपेश कुड़ियाल, चंद्रप्रकाश बहुगुणा आदि ने अपना सहयोग दिया।

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