देहरादून। तुलाज इंस्टीट्यूट ने आज 7वें देहरादून अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दूसरे दिन का आयोजन किया। इस फेस्ट में बृजेंद्र काला, मधुर भंडारकर, रूपा गांगुली, दीपिका चिखलिया, रोहित रॉय, करण राजदान, एहसान कुरैशी, जीनत प्रवीण कुरैशी, विक्रम कोचर, पितोबाश, जश्न अग्निहोत्री और शाहिद माल्या सहित बॉलीवुड की जानी-मानी हस्तियां शामिल हुईं। कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय अभिनेत्री, पूर्व गायिका और राजनीतिज्ञ रूपा गांगुली और अभिनेत्री दीपिका चिखलिया के एक दिलचस्प सत्र से हुई। दर्शकों को संबोधित करते हुए, दीपिका चिखलिया, जो रामानंद सागर की टेलीविजन श्रृंखला रामायण में देवी सीता की भूमिका निभाने के लिए जानी जाती हैं, ने कहा, मैंने अपनी अभिनय यात्रा 30 साल पहले शुरू की थी। उस समय, टीवी को एक इडियट बॉक्स कहा जाता था। आजकल के ज़माने में स्टार और एचबीओ जैसे कई प्रसिद्ध चौनल देखने को मिलते हैं, लेकिन सबसे पुराना और ठोस चौनल आज भी दूरदर्शन ही माना जाता है।
सफलता के बारे में बात करते हुए, दीपिका ने कहा, ष्जीवन के हर मोड़ पर एक व्यक्ति को अपने पर विश्वास रखना चाहिए। जब अवसर आपके दरवाजे पर दस्तक दे रहा हो, तो आपको बहाने नहीं बनाने चाहिए। मेरा सौभाग्य है की मुझे रामानंद सागर जैसे महान निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिला। हमें अपने जीवन में हमेशा ज़मीन से जुड़ा रहना चाहिए। बी आर चोपड़ा की हिट टेलीविजन श्रृंखला महाभारत में द्रौपदी के अपने चित्रण के लिए जानी जाने वाली, रूपा गांगुली ने कहा, ष्मुझे इस बात की खुशी है कि रामायण और महाभारत जैसे प्रसिद्ध कार्यक्रम, जो पहले दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ करते थे, कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान फिरसे प्रचलित हुए। महाभारत की शूटिंग के दौरान मैंने यह सीखा की अपनी निजी ज़िन्दगी में हमें प्रत्येक व्यक्ति के प्रति आभारी होना चाहिए, चाहे वो जिस भी उम्र या जीवन शैली के हों। हमारे जीवन का उद्देश्य प्रतिदिन कम से कम एक व्यक्ति को मुस्कान देना होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा मैं कभी भी एक अभिनेत्री नहीं बनना चाहती थी, बल्कि एक इंजीनियर बनना चाहती थी लेकिन यह सब संयोग से हुआ। मैं यहां के युवा प्रतिभाओं को भी कड़ी मेहनत करने और साथ ही धैर्य रखने का सुझाव देती हूँ। इसके अलावा, एक प्रख्यात अभिनेता के रूप में उभरने के लिए आपको एकांत में एक शीशे के सामने अभ्यास करना चाहिए।
बाद में दिन के दौरान, प्रसिद्ध भारतीय स्टैंड-अप कॉमेडियन एहसान कुरैशी ने अपने कई मज़ेदार चुटकुले और शायरी सुनाई और दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर दिया। दर्शकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, दुनिया में कोई भी विश्वविद्यालय ऐसा नहीं है जो कॉमेडी में डिप्लोमा प्रदान करता है। यह एक कठिन काम है और इसके लिए बहुत अभ्यास की आवश्यकता होती है। आज के ज़माने में स्टैंड-अप कॉमेडी एक बहुत ही प्रचलित पेशा बन गया है। इस अवसर पर, ज़ीनत परवीन कुरैशी ने जीवन, महिला सशक्तिकरण आदि जैसे विषयों पर अपनी बहुत सी कविताएँ भी साझा कीं।
इसके बाद भारतीय टेलीविजन और फिल्म अभिनेता रोहित रॉय का एक समृद्ध सत्र रहा। इस अवसर पर, उन्होंने कहा, ष्मैं एक आकस्मिक अभिनेता हूं क्योंकि मैं कभी भी एक्टर नहीं बनना चाहता था। मैं अपने विश्वविद्यालय में टॉपर था लेकिन दुर्भाग्य से, आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने के लिए मेरा वीज़ा खारिज हो गया, और इसलिए, में एक अभिनेता बन गया। देहरादून अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दूसरे दिन का मुख्य आकर्षण प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर का सत्र रहा। तुलाज़ के छात्रों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ष्किसी व्यक्ति के जीवन में पढ़ाई की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होनी चाहिए। फिल्म उद्योग में सफलता हासिल करना आसान बात नहीं है। यदि दुर्भाग्य से, आपको फिल्म उद्योग में सफलता नहीं मिलती है, तो आपके पास आपकी डिग्री होनी चाहिए जिससे आप अपनी पसंद के किसी भी अन्य क्षेत्र में सफलता पाने में सक्षम हों। सोशल मीडिया के कारण फिल्म उद्योग में एक्सपोजर बहुत ज्यादा होता है। यदि आपको सफलता नहीं मिलती है, तो दुनिया आपके संघर्ष के बारे में सवाल उठाती है जो अंततः आपको निराश करता है। कार्यक्रम के दौरान तुलाज ग्रुप के अध्यक्ष सुनील कुमार जैन, सचिव संगीता जैन, प्रौद्योगिकी उपाध्यक्ष डॉ. राघव गर्ग, तुलाज़ इंस्टिट्यूट के रजिस्ट्रार पवन कुमार चौबे, डीन डॉ. निशांत सक्सेना, डॉ. रणित किशोर और हेड मास्टर तुलाज़ इंटरनेशनल स्कूल के मृगांक पाण्डेय सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।