अलकनंदा और भागीरथी की आड़ में धूल झोंक रहे दोनों मुख्यमंत्रीः करण महारा

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देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण महरा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बीच हुए परिसंपत्ति समझौते की खबर को ऑय वाश करार दिया और कहा कि यह सिर्फ और सिर्फ उत्तराखंड की जनता की आंखों में धूल झोंकने वाला समझौता है। करण माहरा ने बताया कि आज जिस तरह से जश्न मनाया जा रहा है और उत्तराखंड की जनता को बताया जा रहा है कि सारे विवादों को निपटा लिया गया है यह सफेद झूठ है। माहरा ने कहा असली और बड़ा समझौता तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 18 नवंबर 2021 को लखनऊ में योगी जी के साथ करके आ चुके हैं। माहरा ने बताया कि 18 नवंबर 2021 को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच परस्पर सहमति से जो निर्णय हुआ है वह उत्तराखंड की पीठ में छुरा भोंकने जैसा है। माहरा ने नवंबर 2021 को हुए करार को अक्षरशः बताते हुए कहा की
2.870 हेक्टयर भूमि छोडकर शेष भूमि गंगा नदी द्वारा छोड़ी गयी भूमि है। जिसका कोई बन्दोबस्त नहीं है।
इस भूमि पर गंग नहर प्रणाली का हैडवर्कस स्थित है। हैड वर्कस में प्रयुक्त भूमि के अतिरिक्त अन्य भूमि खाली/अनुपयुक्त तथा भविष्य में भी गंग नहर प्रणाली आदि को विस्तारीकरण में आवश्यकता नहीं है। भूमि उ0प्र0 सिं0वि0 के नाम दर्ज नही है। जनपद हरिद्वार में वर्ष भर लगने वाले मेलों जैसे सोमवती अमावस्या, कांवड मेला अनेक पर्वाे पर लगने वाले मेले व कुम्भ व अर्धकुम्भ इसी भूमि पर आयोजित होते आये है। तथा भविष्य में भी उक्त हेतु इस भूमि की नितान्त आवश्यकता है। दोनो राज्यों के मध्य माह नवम्बर 2002 में संयुक्त सर्वेक्षण में उक्त भूमि में से 73.742 हेक्टयर भूमि परियोजना की आवश्यकता तथा कुम्भ मेला हेतु 697.576 हैक्टे0 भूमि चिन्हित की गयी थी और उसके अनुरूप पूर्व में ही कुम्भ मेले की भूमि उ0प्र0 सिंचाई विभाग के शासनादेश सं0-3402 / (1)- 02-27-सिं० उ०,दिनांक 31.10.2002 द्वारा उत्तराखंड सिंचाई विभाग को हस्तान्तरित हुई है। जो वर्तमान तक( 18 नवंबर 2021 तक) उत्तराखण्ड सिंचाई विभाग के नियंत्रण में है।
18 नवंबर 2021 को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री यानी योगी जी और धामी जी की परस्पर सहमति से निर्णय हुआ है कि उक्त भूमि का स्वामित्व उत्तर प्रदेश के पास रहेगा तथा भविष्य में कुम्भ मेला तथा आवश्यक प्रयोजन हेतु अनुमति प्रदान किया जायेगा। इस सहमति पर पुनर्वलोकन तथा मेला प्रशासन/शहरी विकास विभाग की राय लेना आवश्यक होगा। 01 अप्रैल 2017 को दोनो राज्यों के मुख्यमंत्रियों के मध्य आयोजित बैठक के बिन्दु सं-1(2) में कुम्भ मेला भूमि रक्वा 697.576 है। उत्तराखण्ड को हस्तान्तरण पर विचार किया गया तथा सहमति व्यक्त की गई थी। इस सम्बन्ध में उत्तराखण्ड शासन के अशा०पत्र० स0-964/11/2016-17(04)/2016 दिनांक 16.05.2017 द्वारा प्रमुख सचिव उत्तराखण्ड शासन ने प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन को पूर्व में ही अवगत कराया गया है।ष्ष्ष्उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष महारा ने कहा कि उपरोक्त समझौते से यह साबित होता है के चुनाव पूर्व 18 नवंबर 2021 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सिंचाई विभाग की एक बहुत बड़ी भूमि 697.576 हेक्टयर और कुंभ मेला भूमि का सारा कंट्रोल जो कि 2002 में उत्तराखंड को मिल चुका था उसे उत्तर प्रदेश को सौंप आए हैं जोकि सरासर उत्तराखंड की जनता के साथ धोखा है कुठाराघात है छल है। माहरा ने कहा उत्तराखंड कांग्रेस इस विषय पर मुख्यमंत्री धामी से उत्तर की अपेक्षा करती है कि आखिर किस दबाव के चलते मुख्यमंत्री धामी ने 2002 में मिली हुई परिसंपत्ति को 18 नवंबर 2021 को वापस उत्तर प्रदेश को लौटा दिया। नहीं तो सदन से लेकर सड़क तक कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को छोड़ेगी नहीं।

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