उत्तरकाशी
गुरुवार 19 जुलाई को चिन्यलीसौड़ मे
तबाही का मंजर लेकर आई मानसून की बरसात अब भले ही फीकी पड़ चुकी हो पर इसके जख्म अभी रह रह कर लोगो को डरा रहे है | जीवन भर की कमाई से तैयार हुए घर मे पानी और मलवा अभी भी उस रात की कहानी याद दिला रहा है | आवासीय कालोनी के पास स्थायी रूप से एक नाला बन चुका है | स्थानीय लोगो का आरोप है कि आपदा के बाद कोई उन्हे पूछने नहीं आया ये देखने नहीं आया कि कितना नुकसान हुआ है और आगे नुकसान न हो इसके लिए क्या किया जा सकता है |
स्थानीय निवासी गंभीर सिंह नेगी और महेश नौटियाल ने बताया कि वर्ष 2018 से वे जिस खतरे से नगर पालिका और तहसील प्रशासन को आगाह कर रहे थे उस पर आपदा घटित होने तक तक कोई सुनवाई नहीं हुई | यहा तक कि सुरक्षा दीवार के लिए बार बार बजट का रोना रोया गया |
नगर पालिका चिन्यालीसौड़ ने इस इलाके को कभी वार्ड नंबर 3 का तो कभी वार्ड 4 का मामला बता कर टाल दिया | अब जब आपदा घटित हो गयी उसके बाद भी पालिका ने अपनी कोई भी नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं निभाई | यहा तक कि कोई राजस्व अधिकारी भी मौके पर नहीं आया | उन्होने आरोप लगाया कि प्रभावितों ने खुद पैसे देकर जेसीबी मशीन बुलवा कर मलवा साफ करवाया | आपदा से पहले, आपदा के समय और आपदा के बाद किसी भी बिन्दु पर तहसील प्रशासन ने आपदा प्रबंधन धर्म नहीं निभाया |
आरोप है कि नाले के ऊपर वायर क्रेट मे पत्थर का जाला एक के ऊपर एक कर नाले पर रखा जा रहा है, ताकि नाले का और अधिक चौड़ाई मे कटाव न हो , इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए नीचे रहने वाले पीड़ित परिवारों ने आरोप लगाया कि आपदा तंत्र की टीम ने बिना किसी तकनीकी पक्ष के अथवा सलाह – मशवरे से उनके सर के ऊपर पत्थरो का जाल एकत्र कर लिया है जो फिर अतिवृष्टि के बाद उनके ही घरो पर बम बनकर बरसने का काम करेगा | उन्होने बताया की कई बार उन्होने तहसील प्रशासन को फोन पर एक बार मौके पर आकर स्थिति देखने के बाद ही कोई निर्णय लेने का अनुरोध किया , किन्तु उन्हे हर बार टाल दिया गया | ऐसे मे अगर अगली बार की आपदा इसी मानवीय भूल के कारण घटित हुई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?