साधुओं हत्या की कड़ी निंदा करते हुये उनकी आत्मा की शान्ति के लिये रखा मौन

Share Now

-ब्रह्मलीन स्वामी सदानन्द जी महाराज के स्मृति दिवस पर अर्पित की श्रद्धाजंलि
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सनातन धर्म के महान ज्योतिर्धर आदिगुरू भगवान शंकराचार्य जी, जगद्गुरू रामानुज स्वामी एवं महाकवि सूरदास  के प्राक्ट्य दिवस के बाद आज ब्रह्मलीन पूज्य श्री स्वामी सदानन्द जी महाराज के स्मृति दिवस पर श्रद्धाजंलि दी गयी। इस अवसर पर बुलंदशहर जनपद में हुई साधुओं की निर्मम हत्या को दुखद बताते हुये मृतकों की आत्मा की शान्ति के लिये दो मिनट का मौन रखा कर श्रद्धांजलि समर्पित की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, स्वामी केशवानन्द जी, स्वामी सनातन तीर्थ जी, साध्वी आभा सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी आदि अनेक संतों एवंपरमार्थ परिवार के सदस्य और लाॅकडाउन की घोषणा के पहले से परमार्थ निकेतन में निवास कर रहे कई देेशों के पर्यटकों ने सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुये माँ गंगा जी की आरती और शान्तिपाठ समर्पित कर इस दुखद घटना के प्रति अपनी संवेदनायें व्यक्त की। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि इस तरह से साधु-संतों की निर्मम हत्या की घटनायें किसी धर्म विशेष पर सीधा प्रहार हंै। स्वामी जी ने कहा कि सभी पूज्य संतों को एकत्र होकर इसके प्रति तत्काल उचित कार्यवाही की मांग सरकार से की जानी चाहिये। एक ओर जहां पूरा विश्व कोरोना वायरस के संकट में है वहीं दूसरी ओर भारत में साधुओं की निर्मम हत्या जैसा जघन्य अपराध हो रहा है, यह वास्तव में अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद घटनायें हैं। इस तरह की घटनाओं को कुछ असामजिक तत्व समाज में अस्थिरता और द्वेष फैलाने का लिये कर रहे हंै। आगे भी इस प्रकार की घटनायें हो सकती है इसलिये हमें इस पर बहुत सावधानी से एक्शन लेना होगा ताकि इस तरह की घटनायें न हो सकंे। स्वामी जी ने कहा कि आज भारत को और भारत के युवाओं को सनातन धर्म के प्रतीक भगवान श्री आदिगुरू शंकराचार्य जी, भगवान श्री रामानुज स्वामी जी एवं महाकवि सूरदास जी के संदेशों की ओर आगे बढ़ना होगा न की सनातन संस्कृति को शर्मसार करने वाली इन घटनाओं को अंजाम देना है। भारत के जनमानस को छोटी-छोटी बातों से उपर उठकर आगे बढ़ना होगा न की नशे की लत में इस तरह की जघन्य घटनाओं को अंजाम देना, समाज में पनप रही ऐसी मनोवृति पर लगाम लगाने की जरूरत है। हमें कुछ ऐसा करना होगा की हर परिवार में सद्विचार आये, सद्वृतियाँ फैले तथा आक्रोश और दोषों से उपर उठकर संस्कारवान पीढ़ी को निर्माण हो सके। स्वामी जी ने कहा कि इस तरह की घटनायें कुछ असामाजिक तत्व सनातन धर्म को हानि पहुंचाने के लिये भी कर रहे है इससे हमें सावधान रहना होगा। ये असामजिक तत्व इस लाॅकडाउन और कोरोना से उत्पन्न भय के वातावरण का गलत उपयोग कर समाज में वैमनस्यता के बीज बो सकते है। हमारे भारतीय समाज और संस्कृति में इस तरह की घटनाओं की जितनी भी निंदा करें उतनी कम है, आगे इस तरह की कोई भी घटना न घटे क्योंकि एक व्यक्ति की हत्या भी इंसानियत का कत्ल और मानवता की हत्या है। उन्होंने कहा कि हिंसा का हमारी संस्कृति में कहीं भी कोई स्थान नहीं है

error: Content is protected !!