देहरादून : नेतागिरी से लीडरशिप को विकसित करती शिक्षा अधिकारी गैरोला की पुस्तक ’’नेतृत्व की डोर ,सफलता की ओर’’

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उत्तराखंड विधान सभा चुनाव मे इस बार सिर्फ नेता ही नहीं लीडर शिप को लेकर खूब चर्चा रही – मजेदार बात ये रही की लीडरशिप और नेतागिरी मे फर्क समझने और समझाने का भी दौर चला । इसी कड़ी को बेहतर समझने के लिए कुलदीप गैरोला द्वारा लिखित पुस्तक ’’नेतृत्व की डोर ,सफलता की ओर’’ मे श्री राम चंद्र भगवान के अंदर मौजूद 50 लीडरशिप के गुणों को समाहित कर गागर मे सागर भरने का प्रयास किया गया है । इस पुस्तक का भले ही आज बिमोचन हुआ हो किन्तु सोशल मीडिया प्लेट फार्म पर इसकी सैकड़ों प्रतिया बिक चुकी है ।

शिक्षा अधिकारी श्री कुलदीप गैरोला द्वारा लिखित पुस्तक ’’नेतृत्व की डोर ,सफलता की ओर’’ का विमोचन आज दिनांक 26.02.2022 को ग्राफिक ऐरा हिल यूनिवर्सिटी के सभागार में श्रीमती तृप्ती भट्ट आई0पी0एस0, श्री आयुष भट्ट आई0आर0एस0, श्री बंशीधर तिवारी, आई0ए0एस0, श्रीमती सीमा जौनसारी, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, श्री आर0 के0कुंवर निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, डाॅ0 आर0डी0 शर्मा, श्री राम कृष्ण उनियाल, श्री विरेन्द्र सिंह रावत, श्री लीलाधर व्यास अपर निदेशक, तथा समस्त जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों उपस्थित अध्यापकों तथा एस0सी0ई0आर0टी0 के अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया। सभी ने पुस्तक की सफलता की कामना की।  यह पुस्तक नेतृत्व और प्रबंधन के महीन लेकिन महत्वपूर्ण अंतर की व्याख्या करती है, हमारे आस-पास से नेतृत्व के कुछ बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करती लेखक श्री कुलदीप गैरोला की यह पुस्तक – नेतृत्व की  डोर , सफलता की ओर, परिवार, सामाजिक प्रतिष्ठान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, शिक्षा प्रतिष्ठान, और राजनैतिक प्रतिष्ठान सबसे जुड़े हितधारकों का मार्गदर्शन करती है । पुस्तक का केन्द्र बिन्दु हर व्यक्ति में विद्यमान नेतृत्वकर्ता को सफलता हेतु प्रेरित करना है। इस पुस्तक में नेतृत्व के 50 गुणों पर चर्चा की गयी है। जोकि उदाहरणों के माध्यम से विश्वास जगाते हैं। पुस्तक में नई शुरुआत करना, त्रुटि स्वीकारना, निंदा सहन करना, सबका साथ लेना, संकल्पित मन, गुणवान को संख्या से अधिक महत्व देना, प्रकृति से नेतृत्व करना सीखना, ब्राण्ड बनना और बनाना जैसे गुणों पर आधारित पाठ हैं। किताब में नेतृत्व और प्रबंधन को दर्शाते बहुत ही दिलचस्प उदाहरण और खूबसूरत उद्धरण दिए गए हैं। रामायण, रामचरितमानस, महाभारत, अथर्वेद, पतंजली योग सूत्र, कबीर, दिनकर, टैगोर, उर्दू और अंग्रेजी साहित्य से उद्धरण  और ऐसे ही अनेक लेखकों, कवियों और सफल व्यक्तियों की रचनाओं और बातों को प्रस्तुत कर लेखक ने  नेतृत्व को बहुत उम्दा तरीके से व्याख्यायित किया है । पुस्तक में यथोचित ढंग से प्रबन्धन एवं नेतृत्व को स्पष्ट करने में खेल, खिलाड़ी और विशेषकर क्रिकेट खिलाड़ियों के नेतृत्व और धैर्य से सम्बंधित उदाहरण दिए गए हैं ।आगे बढ़कर नेतृत्व करने के बेहतरीन  उदाहरण के रूप में लेखक ने 1983 विश्व कप में भारतीय क्रिकेट कप्तान कपिल देव की जिम्बाब्वे के विरुद्ध 138 गेंदों पर 16 चैके और 6 छक्कों के साथ खेली गई नाबाद 175 रनों की पारी का जिक्र किया है । कपिल जब खेलने आये तब भारत 17 रन पर 5 विकेट खो चुका था ।निश्चित ही इस बेमिसाल पारी ने पूरी टीम को ऐसे उत्साह से भर दिया कि भारत ने तब की दुर्जेय टीम वेस्टइंडीज को फाइनल में हरा कर विश्व कप पहली बार अपने नाम किया ।(पृष्ठ 92)

सकारात्मकता एक ऊर्जा है इस मुद्दे पर बात करते हुए उन्होंने जखोली रुद्रप्रयाग के प्रसिद्ध सर्जन और स्पिरिचुअल  हेल्थ के  प्रेरक डॉ महेश भट्ट द्वारा अक्सर कही जाने वाली बात ‘फियर फाइटिंग सिस्टम‘ का जिक्र किया है (पृष्ठ 127)  इस अध्याय में उन्होंने दो मजेदार बातों का और  जिक्र किया है । पहली  ये  कि विपरीत परिस्थितियों में भी श्री राम ने धैर्य और सकारात्मकता का रास्ता अपनाया । संकट में भी सुग्रीव के मुकाबले बाली जैसे महावीर का साथ नहीं लिया बाली का साथ नहीं चुना क्योंकि बाली का रास्ता नैतिक नहीं था । दूसरा रोचक तथ्य ये कि 2004 में भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सचिन ऑफ स्टम्प से  बाहर जाती गेंदों पर  लगातार आउट हो रहे थे ।सिडनी टेस्ट में भी कंगारू गेंदबाजों ने उनको ऑफ स्टम्प के बाहर गेंदे फेंक बहुत उकसाया लेकिन उन्होंने तय कर लिया था कि उधर छेड़खानी करनी ही नहीं है । इस टेस्ट में सचिन ने 613 मिनट बल्लेबाजी कर 436 गेंदों में 241 रन बनाए ।मजेदार ये कि सचिन ने कुल 33 चैके लगाए लेकिन कवर क्षेत्र में एक भी चैका नहीं लगाया । (कवर क्षेत्र ऑफ साइड में होता है )फॉर्म से जूझ रहे सचिन ने इस टेस्ट की दूसरी पारी में भी बिना आउट हुए 60 रन बनाए और यह मैच  बराबरी पर समाप्त हुआ । (पृष्ठ 128-129)

इस किताब में इस तरह के  पौराणिक और आधुनिक किस्से बहुत ही मजेदार और सटीक ढंग से प्रस्तुत किये गए हैं ।‘नए विचार – नवाचार जयते‘ अध्याय  में महान वैज्ञानिक एडीसन और उनके साथ काम करने वाले वैज्ञानिक टेस्ला के बीच AC और DC विद्युत धाराओं को लेकर  प्रतिद्वंद्विता जिसे ‘वार ऑफ कर्रेंट्स‘ कहते हैं ,का भी रोचक वर्णन है । (पृष्ठ 46) संकल्पित मन शीर्षक में लेखक ने पूर्व भारतीय  क्रिकेट कप्तान सौरभ गांगुली के अपने  पहले अंतर्राष्ट्रीय मैच में 03 रन पर आउट होने , आगे की श्रृंखलाओं में चयन न होने लेकिन लगातार मेहनत से वापसी करने पर 1996 में विदेशी सरजमीं पर दो शतक बनाने का दिलचस्प वर्णन किया  है । राहुल द्रविड़ द्वारा सौरभ को ऑफ साइड का बेहतरीन बल्लेबाज होने के कारण ‘ऑफ साइड का भगवान‘ कहे जाने का भी जिक्र है । भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपई  कृत प्रेरक पंक्तियां हैं – ”छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता”  । (पृष्ठ 89) तमिल संत कवि तिरूवल्लुवर के नीति काव्य तिरुक्कुरल के छंदों में प्रदत्त संदेश (हिंदी अनुवाद)  बेहद सटीक प्रयोग से असरकारक हैं और पुस्तक में कई बार प्रयोग हुए हैं । यह सम्भवतः उत्तराखण्ड भारत एवं दक्षिण भारत की भारतीय ज्ञान परंपराओं को जोड़ने का प्रथम नावाचारी प्रयास है ।

मुम्बई की डब्बावाला सेवा (पृष्ठ 21), भारत में दुग्ध उत्पादक मॉडल ।डन्स् (पृष्ठ 109,110), कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल, सॉफ्टवेयर निर्माण करने वाली कम्पनी एप्पल (पृष्ठ 125,126) आदि के उद्भव से जुड़ी मजेदार कहानियां इस पुस्तक में है । जामवंत के शब्द —- कवन सो काज कठिन जग माहीं । जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ।। सुनते ही श्री हनुमान कैसे सौ योजन समुद्र को तत्काल ही लांघने को उद्यत हो गए । इस उदाहरण से लेखक ने प्रेरक शब्दों की महत्ता को रेखांकित किया है । (पृष्ठ 134) पुस्तक  में बहुत अच्छे कोटेशन (उद्धरण) दिए गए हैं जो नेतृत्व और प्रबंधन के क्रियान्वयन, असमंजस और दुविधा में मददगार हो सकते हैं ।  गांधी जी का यह कथन – ‘भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आज आप क्या कर रहे हैं‘। (पृष्ठ 31) कुछ और उद्धरण हैं —–  प्रबन्धक का प्रभाव तात्कालिक होता है जबकि नेता का प्रभाव दीर्घकालिक होता है (पृष्ठ 35) ।

पृष्ठ 39) यदि आप नेतृत्वकर्ता हैं तो विचार करें कि जब आप नेतृत्व छोड़ेंगे तो उसके बाद कैसे याद किए जाएंगे । (पृष्ठ 111) सही सलाहकार सफलता के ध्वजवाहक होते हैं। नेता को सफलता के लिए ब्रांड बनना और बनाना ही होता है ।

(पृष्ठ 201) 50 अध्यायों में विभक्त 212 पृष्ठों की इस पुस्तक में संग्रहित उद्धरणों और लेखक की सूक्तिपरक टिप्पणियों की ये बानगी भर हैं। ये शानदार पुस्तक से अभी हाल ही में नोशन प्रेस, चेन्नई से प्रकाशित हुई है पुस्तक के प्राक्कथन प्रो0 आर0 के0 पाधी, आई0आई0एम, सम्बलपुर ने लिखा है कि यह पुस्तक इस मिथक को तोड़ती है कि नेतृत्व और प्रबन्धन एक पाश्चत्य अवधारणा है जबकि भारतीय ज्ञान परंपरा में नेतृत्व के गुणों को सदियों से समाज के समक्ष रखा गया है और भारतीय नेतृत्व शैली आज सम्पूर्ण संसार हेतु प्रेरणा का श्रोत है। पुस्तक अमेजन, फिलिप कार्ट और बुक वर्ड देहरादून मे उपलब्ध है। इस अवसर पर श्री कुलदीप गैरोला ने पुस्तक की सामग्री पर प्रकाश डाला तथा कहा कि यह याद रखना आवश्यक है कि- प्रबन्धक की बात का पालन होता है जबकि नेता की बात का अनुसरण होता है ।

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