उत्तराखंड के चार धाम को लेकर तैयार किया गया देवस्थानम बोर्ड आखिर रद्द हो ही गया | भले ही संख्या बल मे तीर्थ पुरोहित ज्यादाद नही थे फिर भी अपने दृढ़ निश्चय से उन्होने इसे राजनैतिक मुद्दा बना दिया था | पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत के समय लिए गए एक और फैसले को आखिरकार सीएम धामी ने पलट कर विधान सभा चुनाव इसे चुनवाई मुद्दा बनाने से रोक लिया |
उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो वर्षों से तीर्थ पुरोहितो की देवस्थानम बोर्ड को रद्द करने की मांग को स्वीकार करते हुए बोर्ड को भंग करने का फैसला किया है, जिसके बाद समस्त तीर्थ पुरोहित और हक हकूक धारियो ने उनका धन्यवाद ज्ञापित किया हैं बताते चले कि 27 नवंबर 2019 को उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था जिसे काला कानून करार देते हुए इसे सनातन धर्म पर और उत्तराखंड के चारों धामों पर थोपने का आरोप लगाते हुए इसके विरोध में तीर्थ पुरोहितों ने लगातार दो वर्षो तक संघर्ष किया | युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने तीर्थ पुरोहितों से संवाद किया वार्ता की और उन्हें आश्वस्त किया कि जो भी निर्णय होगा वह तीर्थ पुरोहितों के पक्ष में होगा 11 सितंबर को सीएम आवास पर उनकी पुरोहितो के साथ उनकी बहुत महत्वपूर्ण बैठक हुई थी जिसके बाद बीजेपी नेता मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने देवस्थानम बोर्ड अधिनियम वापस लेने का फैसला किया है। उत्तराखंड के शीतकालीन सत्र में एक्ट को भी रद्द करने कि विधिक कार्यवाही अमल मे लायी जा सकती है | सभी तीर्थ पुरोहित गंगोत्री मंदिर धर्मशाला उत्तरकाशी में मिठाई बाँट कर और पटाखे फोड़ कर खुशी का इजहार करेंगे