एक बच्चे के बचपन को छीनने की क्या सजा हो सकती है? क्या आप इस सजा को भुगतने के लिए तैयार हैं ? क्योंकि आप ही इस सजा के हकदार हैं।
यदि नहीं तो क्या आप अपने आप को बदलने के लिए तैयार हैं ? यदि नहीं तो क्या आपका लाडला आपका बच्चा आपको माफ करेगा या आने वाली पीढ़ी भी ऐसे ही अपना बचपन खोती चली जाएंगी और आपको कभी माफ नहीं करेंगी
क्या आप जाने अनजाने अपने बच्चों का बचपन छीन रहे हैं । जी हां वो आप ही हैं जो अपने लाडलो से अपने बच्चों से उनका खूबसूरत बचपन छीन रहे हैं,
वो बचपन जो फिर कभी लौट कर नहीं आ सकता। जरा सोचिए जब अप अपने बचपन को याद करते है तो कौन सी तस्वीरे आपके मन मस्तिस्क पर उभरती है , लेकिन जब आपका बच्चा अपने बचपन को कभी याद करेगा तो क्या पाएगा सिर्फ एक मोबाइल ? और उसे इस मोबाइल की अंधेरी दुनिया में धकेलने के जिम्मेदार भी तो आप ही है ।
बदलते दौर में जहां सभ्य समाज गांव छोड़ कस्बों और नगरो की तरफ सिर्फ इसलिए दौड़ लगा रहा हैं कि उनकी बच्चे अच्छी शिक्षा ले सके अच्छे स्कूलों में पढ़ सके अच्छे नागरिक बन सके और इसी लिए लिए मां-बाप अपने घर गांव के खुले वातावरण को छोड़कर शहरों के घोंसलानुमा कमरों में कैद होकर रह गए हैं और वहां कमरे की चार दिवारी मे सिर्फ किताब की दुनिया तक सीमित रह कर बच्चों को के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं ऐसे में बच्चे को अपने प्रकृतिक वातावरण में खुलकर जीने का मौका नहीं मिल पा रहा है और यही वजह है कि वो मोबाइल की अंधेरी दुनिया में घुसता चला जा रहा है रिश्तो को भूलता जा रहा है । एक दौर था जब बच्चे घर के काम स्कूल के पढ़ाई के साथ अपने खेलने कूदने के लिए भरपूर समय निकाल लेते थे इससे उनकी हेल्थ भी ठीक रहतीथी और आपका बजट भी लेकिन आज के दौर में एक बंद कमरे में बच्चा कर भी क्या सकता है, कभी सोचा है