सिर्फ यादों में ही रह जाएगी अंतराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देनें वाली स्व० गौरा देवी के “चिपको आंदोलन” की धरती रैणी?
ऋषि गंगा घाटी के रैणी गांव का होगा विस्थापन |
एक दौर मे पेड़ बचाने के साथ ही विश्व पर्यवारण के लिए विख्यात चिपको आंदोलन की प्रेणता गौरा देवी का गाव आज बिस्थापन के लिए मजबूर हो गया है | ग्रामीणो की मांग है की देश दुनिया को संदेश देने वाली गौरा देवी की स्मृति को समते गाव को सम्मान के साथ बिस्थापित किया जाय |
सम्मान के साथ हो गौरा देवी की स्मृतियो से जुड़े गाव का बिस्थापन
7 फरवरी को आई ऋषि गंगा की जल त्रासदी के बाद से भूस्खलन की मार झेल रही विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन की धरती अब सिर्फ सुनहरी यादों के पन्नो में सिमट कर रह जाएगी। दरअसल अब रैणी गांव का पुनर्वास होगा, भू-वैज्ञानिकों ने इसके संकेत दिए हैं। तीन दिनों तक भू वैज्ञानिकों की टीम ने रैणी गांव के निचले हिस्से से लेकर शीर्ष भाग तक गहन निरीक्षण किया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने गांव की मिटटी की टेस्टिंग भी की। गांव के पुनर्वास के लिए टीम ने सुभांई गांव के साथ ही अन्य दो जगहों की भूमि का निरीक्षण किया। आपदा प्रबंधन से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि रैणी गांव का विस्थापन तय है। गांव में जगह-जगह से भू धंसाव हो रहा है।
14 जून को भारी बारिश के दौरान रैणी गांव के नीचे मलारी हाईवे भी करीब 40 मीटर तक क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे ग्रामीण दहशत में आ गए। गांव की कृषि भूमि व कई भवनों में भी दरारें आ गई हैं। जिससे ग्रामीणों ने प्रशासनिक अधिकारियों के सम्मुख पुनर्वास की मांग रखी। जिसे देखते हुए प्रशासन ने गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण करवाया। तीन दिनों तक भू-वैज्ञानिकों की टीम ने ग्रामीणों के साथ भूस्खलन क्षेत्रों का दौरा किया अब जबकि टीम देहरादून लौट चुकी है जल्द टीम सरकार को अपनी रिपोर्ट सौपेगी, इस रिपोर्ट के आधार पर ही रैणी गाँव का विस्थापन हो सकेगा,