गरीबों व पिछडे वर्ग के साथ सुलभ न्याय दिलाने के लिए तत्पर है जिला विधिक सेवा प्राधिकरण

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नैनीताल। गरीब एवं पिछडे वर्ग को न्याय दिलाने के उददेश्य से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत किया गया है। प्राधिकरण का काम निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराना, लोक अदालत का आयोजन करना तथा विधिक साक्षरता का प्रसार मुख्य है। जानकारी देते हुये सिविल जज सीनियर डिवीजन सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मो0 इमरान खान ने बताया कि लोक अदालत वादों को समझौते के माध्यम से सुलझाने के लिए एक वैकल्पिक मंच है। ऐसे अपराधिक मामलो को छोडकर जो गम्भीर प्रकृति के है, अन्य सभी मामले लोक  अदालतों द्वारा निपटाये जा सकते है। जब लोक अदालत दिवानी मामले को सुलह समझौते के आधार पर तय करती है तो कोर्ट फीस वापस कर दी जाती है। लोक अदालत का फैसला न्यायालय की डिक्री के समान माना जाता है और उसके विरूद्व कोई अपील भी नही की जा सकती। मध्यस्थता केन्द्र मे प्रशिक्षित मध्यस्थ अधिवक्ताओं द्वारा पक्षकारों के मध्य समझौता कराया जाता है।
श्री खान ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर समय-समय पर आयोजित किये जाते हैं जिनका उददेश्य आम जनमानस को कानूनी रूप से साक्षर करना है। विधिक सहायता कार्यक्रम के अन्तर्गत न्यायालयध्प्राधिकरणध्ट्रिब्यूनल्स के समक्ष विचाराधीन मामलोें के पात्र व्यक्तियों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाती है। सरकारी खर्च पर वकील उपलब्ध कराये जाते है। मुकदमों की कोर्ट फीस वाद के कागजात तैयार करने का खर्चा गवाहों केे बुलाने का खर्चा तथा मुकदमों से सम्बन्धित अन्य खर्चे भी प्राधिकरण द्वारा वहन किये जाते हैै। अन्य सरकारी विभागों से सम्बन्धित कार्यो के लिए भी विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
उन्होने बताया कि प्राधिकरण द्वारा निशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने हेतु पात्रता निर्धारित हैै।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सभी नागरिक, मानव दुरव्यवहार, बेगार के शिकार व्यक्ति, सभी महिलायें, बच्चे, दिव्यांग एवं मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति, बहुविनाश, जातीय हिंसा, जातीय अत्याचार, बाढ सूखा एवं भूकम्प, औद्योगिक संकट जैसे दैवीय आवदा से पीडित व्यक्ति, औद्योगिक क्षेत्र मे कार्य करने वाले सभी मजदूर, जेल कारागार संरक्षण गृह, किशोर गृह एवं मनोचिकित्सक, अस्पताल या परिचर्चा गृह मे निरूद्व सभी व्यक्ति ऐसे सभी व्यक्ति जिनकी समस्त श्रोतो से 3 लाख या 3 लाख से कम आय हो, भूतपूर्व सैनिक, किन्नर सामुदाय के लोग, वरिष्ठ नागरिक एवं एडस सक्रमित व्यक्ति निशुल्क विधिक सहायता प्राप्त कर सकते है। उन्होने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा उत्तराखण्ड अपराध से पीडित सहायता योजना के अन्तर्गत अपराध के पीडितो को प्रतिकर दिलाये जाने हेतु प्रतिकर का निर्धारण किया जाता है। प्राधिकरण द्वारा संकल्प नशा मुक्त देव भूमि अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के अन्तर्गत आम जनमानस को नशे से दूर रहने के लिए जागरूकता शिविर लगाये जा रहे है। जिले के सभी स्कूलोें के एन्ट्री ड्रग क्लब स्थापित किये गये है। इसके अतिरिक्त नशा पीडितो का इलाज नशा मुक्ति केन्द्रो मे 50 प्रतिशत छूट पर कराया जा रहा है।
श्री खान ने बताया कि प्राधिकरण के पराविधिक स्वयं सेवी (पीएलवी) आम जनमानस को जागरूक करने विधिक साक्षरता शिविरो का आयोजन करते है एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही उनका लाभ पात्र व्यक्तियो को पहुचाने मे सहायता प्रदान करते है। उन्होने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा कालाढूगी, धारी ,कोश्याकुटौली,रामनगर तथा लालकुआ मे जनसाधारण को विधिक सहायता उपलब्ध कराने हेतु विलेज लीगल एड क्लीनिक स्थापित किये गये हैै। जिला कारागार नैनीताल एवं उपकारागार हल्द्वानी मे  भी लीगत एड क्लीनिक स्थापित है। जिसमें नियुक्त पैनल अधिवक्ता बंदियों को निशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराते हैै। इसके साथ ही किशोर  न्यायालय बोर्ड हल्द्वानी मे भी लीगल एड क्लीनिक स्थापित है। इसके अलावा श्रम विभाग हल्द्वानी मे श्रमिको को निशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराने हेतु श्रम सुविधा केन्द्र स्थापित किया गया है। जिसमें नियुक्त पीएलवी श्रमिको को फार्म आदि भरवाने मे मदद करते है। इस तरह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण न्याय सबके लिए उपलब्ध कराने की दिशा मे कार्यरत है।

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