“डीएम हो तो ऐसा…” — एक संवेदनशील प्रशासनिक चेहरे की मिसाल
📍 देहरादून, 22 मई 2025
“डीएम हो तो ऐसा!” — यह कोई चुनावी नारा नहीं, बल्कि उन आम लोगों की दिल से निकली आवाज है, जिनकी जिंदगी में उम्मीद की एक किरण बनकर सामने आए हैं देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल।
जनता की सेवा को समर्पित, संवेदनशील और परिणाम केंद्रित प्रशासन की एक मिसाल, डीएम बंसल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कुर्सी पर बैठने से बड़ा होता है इंसान का दिल।

♿ “ऑन द स्पॉट” मदद: दिव्यांग महिला की पेंशन तुरंत स्वीकृत, घर तक भेजा गया ‘सारथी’ वाहन से
पिछले जन सुनवाई दिवस का दृश्य किसी फिल्मी कहानी जैसा लग सकता है, लेकिन यह हकीकत है।
क्लेमनटाउन, ओगल भट्टा निवासी राखी, जो 40 प्रतिशत दिव्यांग हैं, अपने पति विजेन्द्र कुमार के साथ डीएम ऑफिस पहुंचीं। उन्होंने हाथ जोड़कर पेंशन और नौकरी की गुहार लगाई।
डीएम सविन बंसल ने न सिर्फ पूरी बात ध्यान से सुनी, बल्कि वहीं मौके पर उनकी दिव्यांग पेंशन स्वीकृत करवाई। और इतना ही नहीं — उन्हें कार्यालय से ‘सारथी’ वाहन के माध्यम से सुरक्षित उनके घर भी पहुंचवाया गया।
भावुक महिला की जुबान से बरबस निकला — “डीएम हो तो ऐसा…”
✅ तत्काल हुई कार्रवाई, पेंशन और व्हीलचेयर की सुविधा मिली
डीएम के निर्देश पर जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल ने तत्परता दिखाई। महिला के पास आय प्रमाण पत्र नहीं था — तहसील से समन्वय कर फौरन बनवाया गया और उसी दिन पेंशन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर अप्रूव कर दिया गया।
📌 अब राखी को जून 2025 से ₹1500 प्रति माह की दिव्यांग पेंशन प्राप्त होगी, जो जुलाई से उनके बैंक खाते में आने लगेगी।
📌 साथ ही, समाज कल्याण विभाग द्वारा उन्हें निःशुल्क व्हीलचेयर भी प्रदान की गई है।
🌟 एक संवेदनशील प्रशासनिक कार्यशैली की मिसाल
जनता दरबार हो, बहुउद्देशीय शिविर या क्षेत्र भ्रमण — डीएम सविन बंसल हर स्तर पर खुद मौजूद रहते हैं।
उनकी कार्यशैली में दिखती है संवेदना, तत्परता और निर्णय की दृढ़ता।
ऐसे कई मामले आए हैं जब उन्होंने ऑन द स्पॉट समाधान करके जनता का दिल जीत लिया।
🗣️ Meru Raibar की विशेष टिप्पणी:
“प्रशासन अगर सजीव और जागरूक हो तो आम आदमी की जिंदगी बदल सकती है। डीएम सविन बंसल जैसे अधिकारी उम्मीद की वह लौ हैं, जिनसे उत्तराखंड का प्रशासनिक भविष्य उज्ज्वल दिखता है।”