हाथी कोरोडोर अतिक्रमण की चपेट मे – 19 वर्षो मे 37 हाथी बिजलीकरंट से तो 37की ट्रेन से कट कर मौत

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हल्दूवानी।

उत्तराखंड मे हाथियो की बड़ी तादाद मे अप्राकृतिक मौत का आंकड़ा चौकने वाला है | हाथियो की सुरक्षा के लिए बनने वाले कॉरीडोर अतिक्रमण की चपेट मे है तो 65 % हाथियो की मौत अप्राकृतिक रूप से हुई है | प्रमुख वन संरक्षक जयराज सिर्फ

सिर्फ भरोसा ही दिये जा रहे है

उत्तराखंड का 60 प्रतिशत से अधिक भू-भाग वनों से घिरा है जिसके चलते उत्तराखण्ड वन्यजीव संसार की दृष्टि से काफी संमृद्धशाली माना जाता है किन्तु पिछले एक दशक से भी अधिक समय में मानव और वन्यजीव संघर्ष में कई वन्यजीव अपनी जान गंवा चुके है उत्तराखण्ड का देहरादून व हरिद्वार के मध्य स्थित राजाजी नेशनल पार्क व रामनगर क्षेत्र में स्थित टाईगर रिजर्व पार्क एशियाई हाथियों का मुख्यवास स्थल माना जाता है किन्तु पिछले कुछ समय से हाथियों अन्य वन्य जीवो की अकाल मौत यह साबित कर रही है कि अब उत्तराखण्ड के क्षेत्र हाथियों के लिए असुरक्षित होते जा रहे हैै।
बताते चलें कि उत्तराखंड हाथी व अन्य वन्य जीवों के लिहाज से धनी माना जाता है। इस धरती का सबसे बड़े प्राणी की संख्या भी यहां अच्छी खासी है लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि देवभूमि हाथी की कब्रगाह बनती जा रही है। राज्य बनने के बाद से अब तक यहां सैकड़ों हाथियों की मौत हो चुकी है इनमें से प्राकृतिक मृत्यु सिर्फ 35 प्रतिशत हाथियों को ही नसीब हुई है। उत्तराखंड में अभी 22 सौ से अधिक हाथी मौजूद हैं लेकिन चिंता यहां इनकी अकाल मृत्यु की बड़ी संख्या को लेकर भी है। साल 2000 से लेकर अभी तक मात्र 35% हाथी अपनी स्वाभाविक मौत मरे हैं बाकी करीब ढाई सौ से अधिक हाथी करंट लगने, ट्रेन या रोड एक्सीडेंट होने या फिर शिकारियों के नापाक इरादों की वजह से मारे गए हैं। बीते 19 साल में सिर्फ बिजली के तारों की चपेट में आने से 37 हाथी मारे गए हैं और इतने ही हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हुई है।

इधर वन क्षेत्रों से लगे रेलवे ट्रेक हाथियों के आने-जाने के जो पारंपरिक रास्ते या एलिफेंट कॉरीडोर थे वहां हाईवे आदि का निर्माण भी एक बड़ी समस्या है उत्तराखंड में ऐसे 11 हाथी कॉरिडोर हैं जिन पर अतिक्रमण कर दिया गया हैै।

रामनगर कॉर्बेट पार्क में लगभग एक हजार से अधिक हाथी हैं तथा इसके आस-पास के डिवीजनो में 2 या 3 सौ हाथी हो सकते हैं हाथियों की इतनी बड़ी संख्या होने से वन विभाग की जिम्मेदारियां और भी बढ़ जाती हैं जल्द ही हाथी कॉरिडोर को लेकर कोई बड़ा फैसला विभाग को करना होगा ताकि हाथियों को सुरक्षित आने जाने का रास्ता मिल सके और मानव वन्य जीव संघर्ष की घटना न हो वही कॉरिडोर के सामने या तो अतिक्रमण हैं या हाईवे निर्माण हैं जिसके चलते हाथी अपना मूवमेंट सही रूप से नहीं कर पा रहे हैं और हाथियों का मूवमेंट सही से नहीं होता है जिसके चलते अब हाथी सीधा ग्रामीण क्षेत्रो में करने लगे हैं।

इधर उत्तराखंड प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने बताया हैं कि उत्तराखंड में दस से अधिक हाथी कॉरिडोर है जिनको बनाने की कवायद तेज चल रही है उन्होंने बताया कि सभी कोरिडोर को मॉडल कॉरीडोर बनाया जाएगा जिसके लिए जल्द ही इस मसले पर आधिकारियों के साथ बैठक कर हाथी कॉरिडोर निर्माण के लिए कार्य में तेजी लाने की दिशा में काम शुरू किया जाएगा साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हाथी कॉरिडोर निर्माण में कोई भी अतिक्रमण बाधा उत्पन्न करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

जयराज प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड।

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