हवा में उड़ा पुल आजतक नही मिला।
चुनावी मुद्दे पर बदल गयी थी सरकार।
नई सरकार में भी ओम शांति का हो रहा जप।
गिरीश गैरोला
वर्ष 2016 -17 में हवा में उड़ा अठाली मोटर पुल विधान सभा मे चुनावी मुद्दा बनकर खूब उछला था। विश्वनाथ चौक इसका गवाह है कि कांग्रेस को राज्य की सत्ता से उतार फेंकने के लिए बीजेपी ने इस मसले को चुनाव में जमकर उछाला था, किंतु सत्ता में आने के बाद सरकार बनते ही यह मुद्दा भी हवा हो गया। डेढ़ वर्ष का समय हो गया है किंतु न तो पुल बनने की सुगबुगाहट दिखी और न पुल निर्माण एजेंसी एनबीसीसी ही कही नजर आयी।
दैवी आपदा में गंगोत्री राजमार्ग से अठाली गाँव को जोड़ने वाला झूला पुल पहले टेढ़ा हुआ फिर बह गया । स्कूल आने जाने और मुख्यालय आने के लिए ट्रॉली के रस्सों पर कुछ दिन जिंदगी लटक कर इधर से उधर होती रही । फिर कांग्रेश सरकार को जोश आया और गाँव के लिए झूला पुल के साथ बगल में ही मोटर पुल भी स्वीकृत कर दिया और बाकायदा काम भी सुरु हो गया। इस बीच हवा का एक झोंका आया और भारी भरकम लोहे के पुल को उड़ा ले गया ।आश्चर्य तो हुआ किन्तु सरकार बदली तो उम्मीद बंधी की एनबीसीसी की खोज होगी कारणों की जांच होगी कार्यवाही होगी पर आज तक पता ही नही चला कि किसका दोष था।
वो पहाड़ो में कहते हैं न देव दोष हो गया बकरा मारना पड़ेगा, सायद ऐसा ही कुछ हुआ हो।
अब जब तिलोथ पुल निर्माण का कार्य सीमेंट न मिलने से रुक सकता है तो राज्य में कुछ भी हो सकता है।
खुद बीजेपी के वरिष्ठ नेता लोकेंद्र बिष्ट भी पुल पर शांति पाठ से असहज है उन्होंने क्या कहा आप भी सुनिए।