गंगा वाटिका से गंगा की नमन।
रिवर फ्रंट की तुलना में बेहतरीन निर्माण।
गिरीश गैरोला
धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार गंगा घाट और गंगा तट पर पूजा अर्चना कर गंगा को प्रणाम करने के अलावा गंगा को नमन करने के कुछ और तरीके भी है जिन्हें अपना कर न सिर्फ गंगा का संरक्षण होगा बल्कि आम लोगो को मनोरंजन के साथ सरकारी राजस्व में भी बृद्धि होगी। इसी अनुभव पर काम करते हुए नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत शिव नगरी उत्तरकाशी में सिंचाई विभाग द्वारा गंगा घाटों के निर्माण और सौंदर्यीकरण के साथ वन विभाग ने भी दैवी आपदा की अस्सी गंगा बाढ़ में वर्ष 2012 में बह गए पार्क का पुनर्निर्माण कर सुंदर गंगा वाटिका का निर्माण किया है।
उत्तरकाशी वन प्रभाग के डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि नमामि गंगे योजना में गंगोरी में एक हेक्टियर भूमि पर करीब 22 लाख की लागत से वाटिका का निर्माण किया गया है। उनकी योजना है कि भविष्य में गंगा वाटिका गंगोरी में एक म्यूजियम भी स्थापित किया जाय जिसमे यहाँ के फ़्लोरा- फोना के साथ यहाँ पाई जसने वाली विभिन्न चट्टानों के नमूने , बिभिन्न प्रजाति के बीज, रखकर इसे मनोरंजन के साथ एजुकेशन सेंटर के रूप में विकसित किया जाय। आने वाले समय मे पर्यटक और यात्री पार्क में मौजूद कैंटीन से प्रकृति की गोद मे बैठकर भोजन का भी आनंद ले सकेंगे।
गंगा वाटिका में पानी का फव्वारा , छतरियां, रेलिंग, ग्रास के साथ एक कैंटीन और शौचालय भी बनाये गए है। इस वाटिका के दूसरे छोर पर अस्सी गंगा का भागीरथी से संगम होता है। निश्चित ही इस वाटिका में मनोरंजन के साथ गंगा को प्रणाम कर उसकी खूबसूरती से प्रवाह के लिए नमामि गंगे को ऊर्जा मिलेगा।
उत्तरकाशी की जोशियाड़ा झील के किनारे ओएनजीसी द्वारा 15 लाख और नगर पालिका द्वारा 10 लाख रु कुल 25 लाख रु खर्च कर एक छोटे से हिस्से में रिवर फ्रंट पार्क बनाया गया है। इस रिवर फ्रंट पार्क पर किये गए खर्च की तुलना में वन विभाग ने एक हेक्टयर पर केवल 22 लाख रु खर्च कर इससे कई बेहतर वाटिका का निर्माण किया है जिसके लिए वन महकमा बधाई का पात्र है।