आबादी के पास गदेरों से हो पहल -नमामि गंगे

Share Now
गंदगी की जड़ काटे , शाखा नही।
गंगा स्वच्छता के लिए आबादी के पास मौजूद गाड़ गदेरों और नालो को भी अभियान में शामिल करने की वकालत।
गिरीश गैरोला
देश मे गंगा सफाई  अभियान फेज 1 और 2 के बाद स्पर्श गंगा और अब नमामि गंगे में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए आबादी के पास मौजूद गाड़ गदेरों और नालो को भी अभियान में शामिल करने की जरूरत बताते हुए गंगा विचार मंच ने गंगा संरक्षण मंत्रालय को पत्र लिखा है। उत्तरकाशी -केदारनाथ सड़क मार्ग पर आबादी वाले इलाके से वर्षा के जल के साथ उफनते नालो के साथ बहकर आया कूड़ा कचरा और पॉलीथिन अखिर गंगा भागीरथी में ही मिलकर गंगा सफाई अभियान को मुह चिढ़ा रहे है।
भारत मे गंगा को नदी ही नही बल्कि माता का दर्जा दिया गया है धार्मिक मान्यताओं से इतर गंगा कक महिमा को समय समय पर विज्ञान ने भी साबित किया है। यही कारण है कि वर्षो तक खराब नही होने वाले गंगा जल को लोग अपने पूजा स्थल के साथ अंतिम समय मे मोक्ष की कामना के साथ  कलश  में भर कर घर ले जाते है। गंगा की महत्ता ही अब इसकी दुश्मन बन गयी है। गंगा सफाई अभियान वर्षो से चल रहे है और अब तक करोड़ो रु भी इस पद खर्च  हो  गए है किन्तु  गंगा अभी भी  साफ नही हो सकी। पुराणों की माने तो ऐसे हालात एक दिन गंगा धरती से बिलुप्त होकर पाताल लोक में चली जाएगी।
पूरे देश मे पीएम मोदी की नमामि गंगे योजना से गंगा की स्वच्छता के साथ इसका कैचमेंट एरिया को भी बढ़ाने और कटाव रोकने के लिए  प्रबंध किए जा रहे है। किंतु गंगा सफाई के लिए जब तक गंगा के आसपास और देर सबेर उसमे मिलने वाले छोटे गाड़ गदेरों और नालो को सफाई अभियान में शामिल नही किया गया तब तक गंगा फिर से प्रदूषित होती रहेगी इसे इस ढंग से समझ जा सकता है कि पेड़ को समाप्त करने के लिए इसकी जड़ की बजाय उसकी शाखा को काटना।
देश की सभ्यता के साथ खासकर पहाड़ो की बसावट नदी नालों और गाड़ गदेरों के आसपास ही हुई है। बढ़ती आबादी के साथ प्लास्टिक के बढ़ते प्रयोग के साथ इसका कचरा भी घर के अन्य कूड़े के साथ गाव के पास बने गाड़ गदेरे और नालो में वर्ष भर जमा होता है और वर्षा काल के डेढ़ से दो महीने यही कूड़ा कचरा प्लास्टिक पॉलीथिन के साथ बहकर अंत मे गंगा में ही पहुँच जाता है। ऐसे में गंगा में सुरु किया गया सफाई अभियान तब तक बेमानी है जब तक इसके आसपास के गाड़ – गदेरों की स्वच्छता को अभियान से  न जोड़ा जाय। यदि आबादी के पास इन गाड़ गदेरों की सफाई भी समय पर हो गयी तो गंगा अपेक्षाकृत कम समय मे  और कम बजट में साफ हो सकती है।
उत्तरकाशी – केदारनाथ सड़क मार्ग पर कोटि गदेरे से आया मलवा भी आखिर गंगा भागीरथी में ही समा रहा है। कोटि गदेरे की अपस्ट्रीम में कोटि गाँव , विकास भवन,  निम, लदाडी गाँव, जीआईसी , पुलिस क्वार्टर, पॉलिटेक्निक आदि है । और इसी तरह से अन्य स्थानों से कूड़ा अंत मे गंगा में ही जा रहा है। यदि कूड़े की इस आफत को जड़ से मिटा दिया जाय तक बार बार शाखा काटने की जरूरत नही पड़ेगी।
गंगा विचार मंच के प्रदेश संयोजक लोकेंद्र बिष्ट ने भी प्रधनमंत्री मोदी और गंगा संरक्षण मंत्रालय को यही सुझाव भेजा है।
,,,
error: Content is protected !!