हनुमान जन्मोत्सव – जीत के तरह पर हनुमान ध्वजा जरूरी क्यों ?

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गुरुवार शिव नागरी उत्तरकाशी मे हनुमान जन्मोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाया गया

चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा और उपाय करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और आरोग्य जीवन का वरदान देते हैं। 

हनुमान जयंती के दिन हनुमान मंदिर में जाकर भगवान को लाल रंग का सिंदूर, लड्डू अर्पित करने चाहिए। कुछ लोग गुड़ और चना भी अर्पित करते हैं

साल की पहली हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है और दूसरी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. हनुमान जयंती मनाने के बारे में बात की जाए तो एक तिथि को विजयअभिनंदन के रूप में मनाया जाता है, जबकि दूसरी तिथि को जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है

क्या आप जानते हैं की हनुमान जयंती क्यों मनाया जाता है? हनुमान जयंती पर्व हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला एक ऐसा पावन पर्व है की जिसे पुरे भारत देश में इसे धूम धाम से और बहुत आस्था के साथ मनाया जाता है.

हनुमान जी हिन्दू धर्म मे बहुत  लोकप्रिय है. हनुमान जयंती पर्व लोगों के द्वारा पूरे जोश और उत्सुकता के साथ मनाया जाता है. इस दिन शहरों में बड़ी बड़ी झांकिया निकाली जाती हैं. कुछ लोग भगवान हनुमान का व्रत भी धारण करते हैं।

हनुमान जी को पुराणों के अनुसार भगवान शिव का 11वां अवतार माना जाता है

हनुमान जी का जन्म माता अंजनी की कोख से हुआ था. हनुमान जी अंजनिपुत्र, भी कहा जाता है

ऐंसी मान्यता है कि जब हनुमान जी का जन्म हुआ था तो उन्हें बहुत जोरों की भूंख लग गयी थी तो वे सूर्य को फल समझ कर उसे खाने के लिए सूर्य की तरफ बढ़े. उसी दिन राहु भी अपना ग्रास बनाने के लिए सूर्य की तरफ आ रहा था इसीलिए सूर्यदेव नें हनुमान जी को राहु समझ लिया था।

इस दिन  कुछ लोग 5 या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. इस दिन बहुत से घरों और मंदिरों में विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है।

इस दिन घरों और मंदिरों में श्री राम और हनुमान जी का भजन कीर्तन भी किया जाता है क्योंकी भगवान हनुमान जी श्रीराम भक्त थे. हनुमान जी को खुश करने के लिए सुंदरकांड का पाठ भी किया जाता है।

हनुमान जी बाल ब्रम्हचारी थे इसीलिए हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी की मूर्ति को जनेऊ धारण कराया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार हनुमान जी ने श्रीराम की लंबी उम्र के लिए अपने पूरे शरीर में सिन्दूर चढ़ा लिया था जिसे चोला कहा जाता है।

माना जाता है कि चोला हनुमान जी को बहुत प्रिय था इसीलिए इस दिन भगवान हनुमान जी की मूर्ति में चोला चढ़ाया जाता है

हिन्दू धर्म के अनुयायियों के द्वारा कई जगहों पर इस दिन विशाल रैलियों का भी आयोजन किया जाता है जिसमें भगवान हनुमान जी के छायाचित्र या फिर मूर्ति को बैंड बाजे और आधुनिक वादक यंत्रों जैंसे डी.जे. आदि के साथ निकाला जाता हैं।

 

 

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