शिव नगरी उत्तरकाशी को जोशियारा से जोड़ने वाला मणिकर्णिका घाट और यहाँ पर स्थित झूला पुल कभी भी किसी बड़े हादसे का शिकार हो सकता है।
विकास के नाम पर सरकारें स्ट्रक्चर खड़ा तो कर देती हैं लेकिन उनके रखरखाव के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं करती है , यही वजह है कि करोड़ों की लागत से निर्मित स्ट्रक्चर भी बेकार साबित हो जाते हैं ।
उत्तरकाशी का पौराणिक घाट मणिकर्णिका घाट जहां पर नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत करोड़ों की लागत से सुंदर घाट निर्मित किए गए हैं , गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने के बड़े-बड़े होर्डिंग्स और साइन बोर्ड भी लगे हैं इसी स्थान पर उत्तरकाशी मुख्यालय को गंगा पार जोशियारा क्षेत्र से जोड़ने के लिए जो झूला पुल लगाया गया है, उसको थामने के लिए जो लोहे के रस्से लगाए गए हैं, उनकी जड़ पर लगातार मलवा और कूड़ा डाला जा रहा है , ऐसे में पल को थामने वाले लोहे के ररस्से से कभी भी जंग लगकर किसी हादसे का कारण बन सकते हैं ।
एक तरफ डीएम समेत सभी सरकारी कर्मचारी नदी किनारे गंगा सफाई अभियान चलाकर कूड़ा हटाने में का काम करते हैं वहीं एक दूसरी लॉबी न सिर्फ कूड़ा करकटही नहीं बल्कि घरों का मलवा भी इस पुल के किनारे डालने का काम कर रही हैं, जो कभी भी पुल के लिए बड़े हादसे का कारण बन सकता है ।
घाट को स्वच्छ रखने के लिए यहां पर एक शौचालय भी बनाया गया है लेकिन रखरखाव न होने के चलते यह भी धूल फांक रहा है। टॉयलेट के दरवाजे टूट गए हैं बिजली के सॉकेट तोड़ दिए हैं पानी के पाइप भी अपनी जगह नहीं दिखाई दे रहे हैं । अब यहाँ ₹10 में टॉयलेट और ₹3 में पेशाब कौन करेगा?
कैसे साफ होंगे गंगा घाट?
कौन इसकी आवाज उठाएगा?
कौन इसका रखरखाव करेगा ?
ये तमाम प्रश्न हैं जिनका जवाब आम लोग कई दिनों से ढूंढ रहे हैं इस पुल से होकर न सिर्फ गंगा भक्त श्रद्धालु बल्कि बाहर से आने वाले तीर्थयात्री भी गुजरते हैं क्या उनको यही मैसेज देना चाहते हैं ?
इतना ही नहीं इस शौचालय से कुछ दूर सीवर लाइन का टैंक पर नजर डालिए जो लीक हो रहा है सड़क पर लीक होते हुए सीवर पूरी गली में फैल रहा है, गली का बाहरी हिस्सा काली कमली बाजार खुलता है जहां धार्मिक महोत्सव के लिए पूरी तरह से सजावट की गई है ।
बाजार झंडों से पाटा गया है लेकिन इस गली को देखने वाला कोई नजर नहीं आता है
टैंक से गली और सड़क पर फैलने वाला यह सीवर जूते चप्पलों से होते हुए आपके घरों तक पहुंच रहा है और कहीं ना कहीं बड़ी बीमारी को न्योता दे रहा है ।
बड़ा सवाल यही है कि विकास के नाम पर निर्माण कार्य तो खूब हो जाते हैं लेकिन उसका रखरखाव करने की जिम्मेदारी कोई भी विभाग नहीं लेता उससे भी बड़ा सवाल यह है कि आम लोग इसे सरकारी जिम्मेदारी समझकर इग्नोर करने की भूल करते हैं