हरिद्वार : संत की उग्र साधना पर प्रशासन के फूले हाथ पाँव – डीएम और एसएसपी पहुचे आश्रम

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गंगा घाटो पर खनन माफियाओ द्वारा मनको के विपरीत आरे किए जाने और जिला प्रशासन द्वारा चुप्पी साध लेने से नाराज हरिद्वार मातृ सदन एक बार फिर तपस्या मे लीन हो गया है | जिला प्रशासन के रवैये से नाराज सेंटो ने उपवास के दौरान नीबू जल और शहद छोडकर अपने ताप को उग्र रूप देने की घोषणा की तो डीएम और एसएसपी आश्रम पहुचे | डीएम विनय शंकर पांडे ने बताया कि वार्ता के बाद फिलहाल संत पहले कि तरह उपवास के दौरान नीबू पानी  और शहद  लेने को राजी हो गए है |

अपनी तपस्या के ४२वें  दिन ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द ने शहद भी त्यागने का निर्णय लिया था । उहोने बताया कि अब वह केवल नींबू पानी और नमक लेते रहेंगे। उन्होंने कहा कि तपस्या के इतने दिनों के बाद भी सरकार का रवैया बिल्कुल नाकारात्मक रहा है। हरिद्वार के जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जब एक बार भी मिलने नहीं पहुंचे तो  आत्मबोधानन्द जी ने कहा कि गंगा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले स्वामी निगमानन्द जी की हत्या के जांच के आदेश CBI कोर्ट द्वारा 9 सितम्बर, 2015 को देने के बावज़ूद CBI ने मामले में आगे जांच नहीं की। उन्होने कहा कि  CBI को किसने अधिकार दिया कि वह कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करे?

 उन्होने आरोप लगाया कि 2018 में स्वामी सानंद जी की हत्या की जांच भी सरकार ने नहीं होने दी। इन्हीं कारणों की वजह से पद्मावती जी के साथ 2020 में जो कुछ भी हुआ, वह सरकार की निगरानी में सरकार द्वारा ही करवाया गया। अगर निगमानन्द जी और सानंद जी के दोषीयों को सज़ा मिल गयी होती तो पद्मावती जी की ये हालत नहीं होती।

इन सभी लोगो को सरकार द्वारा जबरन आश्रम में 144 धारा लगाकर उठवाया गया, जो सरासर गैर कानूनी है। खनन विरोधी जितने भी आदेश केंद्र सरकार  द्वारा जारी किये गये, राज्य एवं जिला प्रशासन ने खुलेआम समय समय पर उसका उल्लंघन करता रहा । मातृ सदन द्वारा सरकार के इस रवैये के खिलाफ जितने भी मुकदमें दर्ज़ करवाये गये, उनपर कभी कोई सुनवायी नहीं हुई। इनकी जांच की मांग हमारा संवैधानिक अधिकार है। सरकार अपने द्वारा दिये गये आश्वासनों का पालन करे, बस हमारी इतनी ही मांग है। जब सरकार वादाखिलाफी करती है, तब माफियाओं का मनोबल इतना बढ़ जाता है कि वह समाज के ईमानदार लोगों के खिलाफ साजिश कर उन्हें जेल भेजवा देते हैं,  उन्होने कहा कि हम केवल न्याय की मांग कर रहे हैं। सरकार और न्यायपालिका इस तरह हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं रह सकती। इसलिए सरकार जबतक हमारी मांगें नहीं मानती, तबतक यह तपस्या जारी रहेगी।

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