कहते है सड़क विकास की रीड होती है बिना सड़क के विकास की परिकल्पना बेमानी है किन्तु उत्तराखंड के पहाड़ी जिलो मे सड़क तो दूर पैदल चलने के लिए भी रास्ते मौजूद नहीं है | बरसात के दिनो मे और अधिक बुरा हाल है | आम तौर पर पहाड़ी कोई शिकायत नहीं करता किन्तु जब कोई माँ बहिन अथवा बीमार होता है तो उसे अस्पताल ले जाने मे दिन मे ही तारे देखने जैसा है | अपने गाव मे पत्थर की चपेट मे आने के बाद लास्पा गाद मुंसयारी निवासी रेखा को अस्पताल ले जाने के लिए हैलिकोप्टर की मनः की गयी किन्तु चार दिन इंतजार के बाद भी सेवा नहीं मिली बताया गया की मौसम की खराबी के चलते हेली सेवा नहीं मिल सकती फिर कोई उपाय न देख एक बार फिर बार्डर पर तैनात आईटीबीपी के जवान देवदूत बनकर प्रकट हुए और 40 किमी का जंगल बिना रास्तो के 6 दिन मे तय कर महिला को किसी तरह अस्पताल पहुचाया | छितरी मे उन रहो को देख कर आप हैरान होंगे की क्या इन पर चलकर किस बीमार को लाया जा सकता है ?
रेखा देवी लास्पा गाड मुनस्यारी निवासी अपने गांव लास्पा में पत्थर की चपेट में आने से घायल होगयी थी रेखा देवी पत्नी लक्षम्ण राम निवासी लास्पा नाला मुनस्यारी पिथोरागढ़
जोहार वैली मिलम रोड का दुर्गम गांव लास्पा पड़ता है । मुनस्यारी से मिलम चायना बोर्डर रोड में ऊक्त गांव बसा है यहा आवागमन की कोई सुविधा न होने से आइटीबीपी के जवानों ने उक्त महीला को स्वयं मुनस्यारी तक छह दिन पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाया हे ।
– उक्त महीला के लिये हेलीकॉप्टर कि मांग कि गयी थी परन्तु मौसम चार होने से सेवा नहीं मिल सकी | हेलीकॉप्टर न आने से आइटीबीपी कि मदद से पैदल-पैदल मुनस्यारी ले कर लाया गया ओर महिला का मुनस्यारी अस्पताल में इलाज़ चलरहा है | हेलिकॉप्टर की व्यवसथा न होनेपीआर गांववासियों के लिये आईटीबीपी ही जीवनदायिनी बनती हे । पुर्व में हेलीकॉप्टर सेवा थी पर इस सरकार में अभी तक कोई मदद नहीं पहुंची है
ग्राम प्रधान चन्द्रा देवी ने बताया कि रास्ते भी नहीं हे सडक तो बेमानी हेओर सरकार ध्यान नहीं देती हे हम सीमा के नागरिक बड़ी विषम परिस्थितियों में रहने को मजबुर हे….