हुंकार : अपने बच्चो का पेट काटकर सरकारी कागजो का पेट भरती है आंगनवाड़ी

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अपनी दो सूत्रीय मांगो को लेकर आंगनवाड़ी और मिनी आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने नगर मे झलूश प्रदर्शन के बाद कलेक्ट्रेट मे जिला अधिकारी के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजा |जिला आंगनवाड़ी संगठन की अध्यक्ष विजयलक्ष्मी नौटियाल ने बताया कि वर्ष 2019 मे आंगनवाड़ी संघ द्वारा  दो महीने की ऐतिहासिक हड़ताल हुई थी जिसके बाद सरकार ने एक समिति बनाकर उनकी मांगो पर विचार करने कि घोषणा की  थी,  किन्तु ये भरोषा भी झूठा ही साबित हुआ |

उन्होने कहा कि राज्य कर्मचारी घोषित होने तक 18 हजार मानदेय और समान कार्य के लिए समान वेतन की  मांग को लेकर एक बार फिर आंगनवाड़ी सड़क पर है , इस बार मांग पूरी नहीं हुई तो विधान सभा चुनाव बहिस्कार किया जाएगा |

उन्होने कहा कि विभाग द्वारा हर छोटा बड़ा काम आंगनवाड़ी को सौंप दिया जाता है,  यहा तक कि मोबाइल फोन पर इंटरनेट का रिचार्ज भी खुद की जेब से करना पड़ता है | सुदूर क्षेत्रो मे जहा मोबाइल नेटवर्क नहीं है वहा आंगनवाड़ी को दोहरा काम करना पड़ता है , उस पर भी 30 साल पुरानी आंगनवाड़ी को इंग्लिश नहीं लिखने पर काम छोड़ देने का ताना सुनाया जाता है | उन्होने कहा कि कोविड काल मे सभी कर्मचारियो को वेतन दिया गया जबकि आंगनवाड़ी  का दो महीने का वेतन काट दिया गया | इतना ही नहीं  जमीनी  स्तर पर सरकार के सभी कार्यो का जिम्मा लेने वाली आंगनवाड़ी सुबह से देर रात तक सरकारी कामकाज निबटाती है,  उसके बाद भी उसे 7500रुपये और 4700 रुपये मानदेय दिया जा रहा  है,  जिसमे उसे अपना घर चलाने मे मुसकिल आ रही है   

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