देहरादून। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ रंजीत कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में गुरुवार को सचिवालय में उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों विशेष रूप से राज्य के मैदानी क्षेत्रों के लिए बाढ़ प्रबंधन योजना बनाए जाने के संबंध में बैठक आयोजित की गई। सचिव आपदा प्रबंधन ने सिंचाई विभाग उत्तराखंड, सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश, केंद्रीय जल आयोग, आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को आपसी समन्वय के साथ बाढ़ प्रबंधन योजना पर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा केन्द्रीय जल आयोग वेबसाइट में समस्त बड़ी नदियों के जलस्तर की रिपोर्ट प्रत्येक घंटे में अपडेट करें।
सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि राज्य के पहाड़ी एवं मैदानी क्षेत्रों की नदियों के जल संग्रहण क्षेत्र में होने वाली वर्षा के साथ ही ऊपरी क्षेत्र में नदियों के जल स्तर व जल प्रवाह की जानकारी के आधार पर बाढ़ से प्रभावित हो सकने वाले मैदानी क्षेत्रों के लिये चेतावनी की व्यवस्था मजबूत की जाए ताकि समय रहते प्रभावित हो सकने वाले जनसमुदाय को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाये जा सके।
सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि केन्द्रीय जल आयोग द्वारा उत्तराखण्ड में मात्र चार स्थान रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, ऋषिकेश, तथा हरिद्वार के लिये बाढ़ पूर्वानुमान से सम्बन्धित जानकारियां उपलब्ध करवाई जाती है। कुमाऊं मण्डल में किसी भी क्षेत्र के लिये बाढ़ पूर्वानुमान से सम्बन्धित कोई भी सूचना उपलब्ध नहीं करवायी जाती है। उन्होंने केन्द्रीय जल आयोग के अधिकारियो को निर्देशित करते हुए कहा कि कुमाऊं मण्डल की प्रमुख नदियों में भी बाढ़ पूर्वानुमान व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि केन्द्रीय जल आयोग के कुमाऊं डिविजन, आपदा प्रबंधन कार्यालय देहरादून में भी सूचनाओं के आदान-प्रदान किया जाए। सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि सिंचाई विभाग द्वारा राज्य की समस्त नदियों के पूर्व से चिन्हित स्थानों तथा अन्य असुरक्षित महत्वपूर्ण स्थलों पर प्रत्येक वर्ष दिसम्बर-जनवरी माह में क्रॉस सेक्शन लिया जाये ताकि समय से नदियों की जतंपदपदहध्कतमकहपदह की कार्यवाही वैज्ञानिक तरीके से की जा सके तथा क्रॉस सेक्शन के आधार पर नदियों के जल-प्रवाह का आंकलन कर चेतावनी जारी की जा सके। सचिव आपदा प्रबंधन द्वारा वांछित बाढ़ पूर्वानुमान तथा जल भराव के दृष्टिगत सिंचाई विभाग देहरादून को एक कांसेप्ट नोट तैयार किये जाने हेतु निर्देशित किया गया ताकि तद्नुसार केन्द्रीय जल आयोग से कार्यवाही हेतु अनुरोध किया जा सके। बैठक में केंद्रीय जल आयोग, सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश, सिंचाई विभाग उत्तराखंड के अधिकारी तथा अन्य अधिकारी मौजूद रहे।