लूट सको तो लूट – कोई बोलने वाला नहीं ? – ये क्या हो रहा – मेरी उत्तरकाशी

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: मैं उत्तरकाशी हूं

गंगा और यमुना का मायका

देश और दुनिया के लोग गंगोत्री के  पवित्र जल को लेने के लिए उत्तरकाशी पहुंचते हैं ।

गंगा पवित्रता का प्रतीक है और इसी उम्मीद के साथ लोग गंगाजल को अपने साथ लेकर जाते हैं कि जिस शहर से गंगा निकलती है वहां भी उतनी ही शुद्धता होगी।

 चलिये  आज हम आपको बताते हैं कि चिराग तले अंधेरा क्यों होता है ?

क्यों उत्तरकाशी की दुर्दशा पर कोई बोलने वाला नजर नहीं आता ?

अब सामाजिक कार्यकर्ताओं की बात हो या चुने हुए प्रतिनिधियों की,

सब लोक लिहाज का धर्म निभा रहे हैं , वो क्यों और कैसे एक-एक कर जान लेते हैं।

उत्तरकाशी कलेक्ट्रेट कॉलोनी से होते हुए गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस और तिलोथ पुल पर निकलते है तो नजर आता है कि ये  पुल वर्षो से बन ही रहा है और अभी न जाने कब तक बनाता ही  रहेगा ,  कहा नहीं जा सकता ।

झगड़ा ठेकेदार का हो या कमीशन का वो विभाग जाने,  पर आम जनता इसका खामियाजा क्यों भुगते ?

यहाँ तो वाहनो कि  आवाजही ही लंबे समय से बंद कर है और काम कितनी सुस्त गति से चल रहा है,  कोई बोलने वाला नहीं है।

सत्ता पक्ष नशे मे है और दवित्व कि उम्मीद मे चुप्पी साधे  है , जबकि विपक्ष ने  खुद पर भरोसा करना ही छोड़ दिया है , चर्चाए तो सिर्फ दल बदल की  है, व्यवस्था बदलने की कतई नहीं ।

ऐसे हालत मे सड़क  कुछ और साल भी  बंद भी रहेगी तो कोई कुछ बोलेगा नहीं , अब आपको अपने गाँव जाने के लिए अथवा बच्चो को स्कूल जाने के लिए कई किमी दूर चक्कर लगा कर जाना पड़े तो किसको फर्क पड़ता है ? ये आपकी गलती है कि अप मुरदो के शहर मे पैदा हुए है ?

आगे बढ़ते है जब जल विद्युत निगम की सड़क पर कुटेटी  के लिए निकलते हैं तो सड़क का चौड़ीकरण बताता है की पूर्व बीजेपी विधायक स्वर्गीय गोपाल रावत के प्रयासों से चौड़ीकरण के बाद सड़क की खूबसूरती में जो चार चांद लगे थे उसे पर भी अब पैबंद लगाने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है ।

पहले मोड़ से ही पानी की मोटी लाइन नाली के ऊपर पर्याप्त गैप से निकाली जा रही है जो  ठीक है,  लेकिन जैसे-जैसे यह नाली आगे बढ़ती है वैसे वैसे यह यह पाइप लाइन सड़क की नाली से मिलती चली जा रही है और अगले बैंड से तो यह पूरी तरह से नाली पर ही रख दी गई है।

अब इस नाली  में पानी कैसे  बहेगा ? जब सड़क के किनारे कचरा इसमें जमा हो जाएगा तो  फिर यह पूरा पानी सड़कों पर ही बहता दिखाई देगा।

कहा जाता है कि बरसात से पूर्व सभी सड़कों की और नालियो की साफ सफाई की जाती है लेकिन क्या हकीकत में ऐसा होता है ?

अगर ऐसा होता तो वैसा नहीं होता – और वैसा होता तो ऐसा नहीं –  ऐसा कैसे  नहीं होता यह आप भी अच्छी तरह समझते हैं ।

ये कौन से इंजीनियरिंग विभाग के जेई अथवा एई रहे होंगे जिन्होंने सड़क के किनारे नाली के ऊपर पानी कि लाइन न सिर्फ रखवा दी  बल्कि उसकी मेजरमेंट अपनी एमबी बुक मे भी कर कर डाली और ठेकेदार को भुगतान भी हो गया।

ये वो छोटी-छोटी बातें हैं जिन्हें हर नगरवासी अपनी नजरों के सामने रखे और शिकायत के रूप में दर्ज करें तो नगर की आधी से ज्यादा समस्याएं तो यूं ही समाप्त हो जाएंगी ।

पर क्या जिम्मेदार अधिकारी और चुने हुए प्रतिनिधि इस पर कभी ध्यान देंगे?

चार धाम यात्रा की बात तो छोड़ ही दीजिए ऑफ सीजन  में भी सड़कों पर जाम की स्थिति से सभी लोग अच्छी तरह से वाकिफ है। जब से  बैंक ने ईजी लोन बांटने सुरू किए हैं तब से  हर कोई अपने पसंदीदा चार पहिया वाहन लेकर शहर में पहुंच रहा है । अब निजी पार्किंग तो है नहीं,  तो फिर गाड़ी सड़क के किनारे ही  खड़ी होगी और अगर गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी हुई तो फिर ट्रैफिक कहां चलेगा ?

गाड़ी को पास कहां से मिलेगा?

इन सब बातों को लेकर ऊपरी स्तर पर एसी कमरों में मंथन जरूर हो रहा है लेकिन धरातल पर कुछ ऐसे पॉइंट्स हैं जिन्हें इसमे शामिल कर दिया जाए तो शहर की समस्या शहर में ही समाप्त हो सकती है।

अब उत्तरकाशी की पार्किंग समस्या को ही ले लीजिए कलेक्ट्रेट कॉलोनी से तिलोथ  मार्ग पर नाली के ऊपर अथवा सड़क के किनारे बची हुई जमीनों को यदि सही मायने में सदुपयोग किया जाए तो न सिर्फ अच्छी खासी पार्किंग निकल सकती है बल्कि बल्कि टूरिस्ट पॉइंट से भी एक बेहतरीन नजारा प्रस्तुत हो सकता है और पार्किंग शुल्क के रूप में राजस्व की उगाही की जा सकती है।

लेकिन ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है जबकि आप चित्रों पर गौर करें तो सड़क के किनारे नालियों को के ऊपर अथवा कॉलोनी की तरफ अथवा पहाड़ी पर बीच-बीच में खाली स्थानों पर पोककेट्स मे पेड पार्किंग निर्मित की जा सकती है ।

लेकिन क्या ऐसा होगा ? स्थानीय लोगों के सुझाव एसी कमरों की में ली जा रही बैठकों में शामिल हो सकेंगे ?

क्या हमारे जनप्रतिनिधि जमीन से जुड़े मुद्दों को अपने घोषणा पत्र में शामिल करेंगे ? जिला योजना में शहर की समस्याओं का कोई हल निकल सकेगा?  ये  वह सवाल है जिसका हमें हर 5 साल मे नहीं बल्कि  हर साल जवाब ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए।

लेकिन क्या हम ऐसा करते हैं क्या हम ऐसा करेंगे

Cartoon (Sting) by Twin Musicom is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 licence. https://creativecommons.org/licenses/by/4.0/

 

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Loping Sting by Kevin MacLeod is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 licence. https://creativecommons.org/licenses/by/4.0/

 

Source: http://incompetech.com/music/royalty-free/index.html?isrc=USUAN1200014

 

Artist: http://incompetech.com/

30 Second Classical by Audionautix is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 licence. https://creativecommons.org/licenses/by/4.0/

 

Artist: http://audionautix.com/

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