योगमय हुआ परमार्थ निकेेतन

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 ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में स्वर्णीम सूर्य का उदय योगाचार्य गुरूशब्द सिंह खालसा के कुण्डलिनी योग के साथ हुआ। परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमारों ने राज्यपाल महाराष्ट्र भगत सिंह कोश्यारी का स्वागत शंख ध्वनि, वेद मंत्रों एवं पुष्प वर्षा से किया। परमार्थ निकेतन में आज विश्व के 60 देशों से आये योग जिज्ञाासुओं को आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर जी, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, का दिव्य सान्निध्य और आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

राज्यपाल महाराष्ट्र भगत सिंह कोश्यारी, भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष श्याम जाजू, गरिमामय उपस्थिति में योगियों ने योग के साथ जीवन, अध्यात्म, पर्यावरण संरक्षण के विषय में जानकारी प्राप्त की। आज की आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सत्संग श्रृंखला में भारतीय जीवन शैली कोच एवं मोटिवेशनल स्पीकर, गौर गोपाल दास, फिल्म कम्पोजर एंड्रयू हेविट, अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती, आर्गेनिक इण्डिया के प्रमुख भारत मित्रा, योगाचार्य गुरूमुख कौर खालसा और अन्य विश्व विख्यात विभूतियों ने अपने अनुभवों को योगियों के साथ साझा किया। ध्यान और योग का विशेष अभ्यास सत्र प्रातःकाल योगाचार्य गुरूशब्द सिंह खालसा द्वारा कुन्डलिनी योग, माइंडफुलनेस, वेलनेस लाइफस्टाइल अमेरिकी विशेषज्ञ, डाॅ ईडन गोल्डमैन द्वारा चिकित्सा विन्यास, ऋषिकेश मूल के चीन से आये प्रख्यात योगाचार्य मोहन भण्डारी द्वारा योगी योगा, योगाचार्य दाना फ्लिन द्वारा सोल स्वेट, संदीप देसाई द्वारा ओरिजिनल चेन स्टाइल टी आई ची, अमेरिकी योगाचार्य एवं संगीतज्ञ आनन्द्रा जार्ज द्वारा सूर्य उदय नाद योग साधना, अमेरिकी योगाचार्य टोमी रोजन द्वारा कुन्डलिनी एक्सप्रेस, योगाचार्य जैनेट एटवुड द्वारा योग आॅफ द मांइड, योगाचार्य जय हरि सिंह द्वारा ’अपने डर का सामना कैसे करें’, योगऋषि विश्वकेतु द्वारा प्राणिक बूस्ट प्राणायाम, गुरूमुख कौर खालसा द्वारा विचारों को शुद्ध करने के पांच आध्यात्मिक नियम, रेकी मास्टर और तत्वमीमांसा शिक्षिका, करेन न्यूमन द्वारा  सीक्रेट साउंड स्टेज, माँ ज्ञान सुवेरा द्वारा रेकी लेवल – 1, योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती जी द्वारा योगनिद्रा साथ ही अन्य विश्व विख्यात योगाचार्यो द्वारा योग और ध्यान की विधाओं का अभ्यास कराया गया। अध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर जी ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैं परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में हूँ। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के द्वारा शुरू की गयी गंगा आरती और उसके माध्यम से दिये जाने वाले प्रवचन सभी के लिये प्रेरणा के स्रोत हंै। उन्होंने योगियों से कहा कि आप योग के माध्यम से जीवन के उच्च सत्य को जानने की कोशिश करें जो सृष्टि ने हमें प्रदान किया है। योग के माध्यम से आप अपने प्लानेट से जुड़ने की कोशिश करंे। आप यहां से लव और एसेन्स आॅफ योग को लेकर जायंे। योग कोई फिजिकल अभ्यास नहीं बल्कि पूरे प्लानेट से जुड़ने की एक प्रोसेस है। योग आपको चैलेंज लेने को तैयार करता है। उन्होंने कहा कि बच्चा जब जन्म लेता है तब हर  बच्चा योगी होता है और हर योगी भी एक बच्चा है। हम सभी एक परिवार के सदस्य है, वसुधैव कुटुम्बकम् हमारे जीवन का मूल मंत्र है, हम एक दूसरे से जुड़े रहें इसी को जीवन का मंत्र बना लें। राज्यपाल महाराष्ट्र भगत सिंह कोश्यारी ने विश्व के 60 देशों से आये योगियों से कहा कि मैं मूल रूप से उत्तराखण्ड से हूँ इस दिव्य भूमि पर आप सभी का अभिनन्दन है। यह पवित्र भूमि स्विट्जरलैंड जैसी खूबसूरत है और स्पिरिचुअल लैंड भी है। यहां माँ गंगा है, यहां हिमालय है। उत्तराखण्ड शान्ति का धाम है आप सब यहां की दिव्यता, भव्यता और शान्ति को अपने साथ लेकर जाये। उन्होंने कहा कि परमार्थ गंगा तट की गंगा आरती एक नई ऊर्जा देती है आप उसे आत्मसात करंे। साथ ही कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के पास प्राकृतिक खूबसूरती का खजाना है आप उसका अवश्य दर्शन करें तथा सेवा और शान्ति के मार्ग पर बढ़ते रहंे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि योग, एकता और एकजुटता का संदेश देता है। सभी के साथ दयालुता का व्यवहार करना, पूरे विश्व में शान्ति की स्थापना के लिये प्रार्थना करना ही योग का मर्म है। अपने कल्चर, नेचर और फ्यूचर को सुरक्षित करना ही योगी की धर्म है ’’योगी बने उपयोगी’’। स्वामी जी ने कहा कि धर्म, जाति, भेदभाव और अन्य सारी दीवारों और बंधनों को तोडते हुये पहले एकदूसरे के सहयोगी बनंे, मानवता के लिये उपयोगी बनें और फिर योगी बनंे। गौर गोपाल दास जी ने कहा, माँ गंगा के तट और हिमालय की गोद में योग के रास्ते पर चलने का अनुभव अद्भुत होता है। जीवन में योग ’आॅन द मेट’ और ’आॅफ द मेट’ दोनों स्थानों पर होना चाहिये क्योंकि योग की आवश्यकता 99Û9 प्रतिशत आॅफ द मेट होती है। हम अपने घर में, कार्यालय में, बाजार में और अन्य स्थानों पर योग का अभ्यास कैसे करें। फिजिकल रूप से नहीं बल्कि विचार, व्यवहार और वाणी से। उन्होने कहा कि हम सभी के फिजिकल रास्ते अलग हो सकते हैं, देश अलग हैं परन्तु आध्यात्मिक रास्ता एक ही है। योग तो परिवर्तन की प्रक्रिया है। यहां से आप योग के वास्तविक मूल्यों को लेकर जायें, सोशल वैल्यू, फिजिकल वैल्यू और स्पिरिचुअल वैल्यू लेकर जायें क्योंकि बाहर परेशान होने के बहुत सारे कारण हैं। योग के माध्यम से शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में स्वस्थ रहना जरूरी है। आप अपने आप को आध्यात्मिक पाॅवर हाउस से जोड़ लें और किसी भी आध्यात्मिक प्रक्रिया को अपनायें चाहे वह मंत्र जप हो, कीर्तन हो, योग हो, ध्यान हो या कुछ और यही जीवन का सहज मार्ग है।———————————————————————-

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